योगी आदित्यनाथ को मर्डर के आरोप में दोषी साबित होने पर सजा-ए-मौत भी संभव

 19 Mar 2017 ( आई बी टी एन न्यूज़ ब्यूरो )
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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर आज शपथ लेने जा रहे योगी आदित्यनाथ का विवादों से पुराना नाता रहा है। अपनी फायरब्रांड इमेज के लिए मशहूर इस बीजेपी सांसद ने कई एेसे विवादित बयान दिए हैं जिससे लोगों में उनकी इमेज एक कट्टर हिंदूवादी नेता की बन गई है, लेकिन इन सबसे अलग उनके ऊपर कई आपराधिक धाराओं में मुकदमे दर्ज हैं।

अगर बात उनके 2014 लोकसभा चुनावों में दाखिल हलफनामे की करें तो इसमें योगी ने अपने ऊपर लगे सभी मामलों के बारे में जानकारी दी है। आइए आपको बताते हैं इन मामलों और उनमें होने वाली सजा के बारे में:

1999 में उत्तर प्रदेश के नए मुख्यमंत्री पर महाराजगंज जिले में आईपीसी की धारा 147 (दंगे के लिए दंड), 148 (घातक हथियार से दंगे), 295 (किसी समुदाय के पूजा स्थल का अपमान करना), 297 (कब्रिस्तानों पर अतिक्रमण), 153A (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 307 (हत्या का प्रयास) और 506 (आपराधिक धमकी के लिए दंड) के मामले दर्ज हुए थे। पुलिस ने इन मामलों में क्लोजर रिपोर्ट तो साल 2000 में ही दाखिल कर दी थी, लेकिन स्थानीय अदालत का फैसला आना अभी बाकी है।

1999 में ही मामला महाराजगंज का ही है, जहां उन पर धारा 302 (मौत की सजा) के तहत मामला दर्ज किया गया था। इसके अलावा 307 (हत्या का प्रयास) 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान) और 427 (पचास रुपये की राशि को नुकसान पहुंचाते हुए शरारत) के तहत भी उन पर मामला दर्ज हुआ था। पुलिस ने 2000 में ही क्लोजर रिपोर्ट फाइल कर दी थी, लेकिन फैसला आना बाकी है।

1999 में ही महाराजगंज में उन पर आईपीसी की धारा 147 (दंगे के लिए दंड), 148 (घातक हथियार से दंगे), 149, 307, 336 (दूसरों के जीवन को खतरे में डालना), 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान) और 427 (पचास रुपये की राशि को नुकसान पहुंचाते हुए शरारत) के तहत मामले दर्ज किए गए। एफिडेविट के मुताबिक पुलिस ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी थी, लेकिन फैसला आना बाकी है।

2006 में गोरखपुर में उन पर आईपीसी की धारा 147, 148, 133A (उपद्रव को हटाने के लिए सशर्त आदेश), 285 (आग या दहनशील पदार्थ के संबंध में लापरवाही), 297 (कब्रिस्तानों पर अतिक्रमण) के तहत मामला दर्ज किया गया था। यहां भी पुलिस ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी थी, लेकिन फैसला अभी नहीं आया।

 

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