कश्मीर पर मलेशिया और भारत में क्यों तनाव बढ़ा?

 15 Oct 2019 ( आई बी टी एन न्यूज़ ब्यूरो )
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इमरान ख़ान पिछले साल अगस्त में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने और नवंबर में मलेशिया के दौरे पर गए।

इमरान ख़ान से तीन महीने पहले 2018 में ही 92 साल के महातिर मोहम्मद फिर से मलेशिया के प्रधानमंत्री बने थे। इमरान और महातिर के चुनावी कैंपेन में भ्रष्टाचार सबसे बड़ा मुद्दा था। इसके साथ ही दोनों देशों पर चीन का क़र्ज़ भी बेशुमार बढ़ रहा था।

महातिर राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी हैं। वो 1981 से 2003 तक इससे पहले सत्ता में रह चुके थे। वहीं इमरान ख़ान इससे पहले केवल क्रिकेट के खिलाड़ी थे। महातिर ने आते ही चीन के 22 अरब डॉलर की परियोजना को रोक दिया और कहा कि यह बिल्कुल ग़ैरज़रूरी थी।

दूसरी तरफ़ इमरान ख़ान ने वन बेल्ट वन रोड के तहत पाकिस्तान में चीन की 60 अरब डॉलर की परियोजना को लेकर उतनी ही बेक़रारी दिखाई जैसी बेक़रारी नवाज़ शरीफ़ की थी।

नवंबर 2018 में जब इमरान ख़ान क्वालालंपुर पहुँचे तो उनका स्वागत किसी रॉकस्टार की तरह किया गया। इमरान ख़ान ने कहा कि मलेशिया और पाकिस्तान दोनों एक पथ पर खड़े हैं।

इमरान ख़ान ने कहा था, ''मुझे और महातिर दोनों को जनता ने भ्रष्टाचार से आजिज आकर सत्ता सौंपी है। हम दोनों क़र्ज़ की समस्या से जूझ रहे हैं।  हम अपनी समस्याओं से एक साथ आकर निपट सकते हैं। महातिर ने मलेशिया को तरक्की के पथ पर लाया है। हमें उम्मीद है कि महातिर के अनुभव से हम सीखेंगे।''

दोनों मुस्लिम बहुल देश हैं।

इमरान ख़ान और मलेशिया के क़रीबी की यह शुरुआत थी। भारत और पाकिस्तान में जब भी तनाव की स्थिति बनी तो इमरान ख़ान ने महातिर मोहम्मद को फ़ोन किया। कहा जाता है कि इमरान ख़ान के शुरुआती विदेशी दौरे में मलेशिया एकमात्र देश था जिससे इमरान ख़ान ने क़र्ज़ नहीं मांगा।

महातिर मोहम्मद के शासन काल में पाकिस्तान मलेशिया के सबसे क़रीब आया। पाकिस्तान और मलेशिया के बीच 2007 में इकनॉमिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट हुआ था।

इमरान ख़ान के दौरे पर महातिर ने पाकिस्तान को ऊर्जा सुरक्षा में मदद करने की प्रतिबद्धता जताई थी। पाँच अगस्त को जब भारत ने जम्मू-कश्मीर को मिले विशेष दर्जे को ख़त्म करने की घोषणा की तो महातिर उन राष्ट्र प्रमुखों में शामिल थे जिन्हें इमरान ख़ान ने फ़ोन कर समर्थन मांगा और महातिर ने इमरान को समर्थन दिया।

जब कश्मीर का मामला संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में गया तब भी मलेशिया पाकिस्तान के साथ था। यहां तक पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में भी मलेशियाई प्रधानमंत्री ने कश्मीर का मुद्दा उठाया और भारत को घेरा। भारत के लिए यह किसी झटके से कम नहीं था।

आख़िर मलेशिया पाकिस्तान के साथ क्यों है? साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट से नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ़ मलेशिया में स्ट्रैटिजिक स्टडीज के एक्सपर्ट रविचंद्रन दक्षिणमूर्ति ने कहा, ''मलेशिया और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से अच्छे रिश्ते रहे हैं। 1957 में मलेशिया की आज़ादी के बाद पाकिस्तान उन देशों में शामिल था जिन्होंने सबसे पहले संप्रभु देश के रूप में मान्यता दी।''

रविचंद्रन ने कहा, ''पाकिस्तान और मलेशिया दोनों कई इस्लामिक संगठन और सहयोग से जुड़े हुए हैं। इन दोनों के संबंध में चीन का मामला बिल्कुल अलग है। मलेशिया और चीन के रिश्ते बिल्कुल सामान्य हैं लेकिन पाकिस्तान और चीन का संबंध बेहद ख़ास है। चीन पाकिस्तान में सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता देश है और दोनों देशों के रिश्ते भारत से अच्छे नहीं हैं। जब तक सत्ता में महातिर मोहम्मद रहे, तब तक पाकिस्तान से संबंध अच्छा रहा।''

भारत खाने में इस्तेमाल होने वाले तेलों का सबसे बड़ा आयातक देश है।  भारत के रुख़ को देखते हुए मलेशिया के प्रधानमंत्री ने रविवार को कहा था कि भारत के साथ द्विपक्षीय कारोबारी संबंधों की समीक्षा की जाएगी। उन्होंने कहा था कि भारत भी मलेशिया में निर्यात करता है और दोनों के कारोबारी रिश्ते द्विपक्षीय हैं न कि एकतरफ़ा।

भारत ने कश्मीर पर मलेशिया के रुख़ से काफ़ी नाराज़गी जताई और अब कहा जा रहा है कि दोनों देशों के ट्रेड रिलेशन भी प्रभावित हो सकते हैं। समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार महातिर मोहम्मद ने कहा है कि उनकी सरकार भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा करेगी।

रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार भारत मलेशिया से पाम तेल के आयात को सीमित कर सकता है। इसके साथ ही मलेशिया से भारत अन्य वस्तुओं के आयात पर भी फिर से विचार कर सकता है।

महातिर ने यूएन की आम सभा में कहा था कि भारत ने कश्मीर को अपने क़ब्ज़े में रखा है। हालांकि सरकार की तरफ़ से इस पर अभी कोई टिप्पणी नहीं आई है।

रॉयटर्स के अनुसार भारतीय रिफाइनर्स ने नवंबर और दिसंबर में शिपमेंट के लिए मलेशिया से पाम तेल ख़रीदना बंद कर दिया है। एजेंसी के अनुसार इन्हें डर है कि भारत सरकार आयात शुल्क बढ़ा सकता है। डर है कि भारत सरकार इसे रोकने के लिए और क़दम उठा सकता है।

सोमवार को रॉयटर्स से पाँच ट्रेडर्स ने कहा है कि उन्होंने नवंबर-दिसंबर में शिपमेंट के लिए पाम तेल ख़रीदना बंद कर दिया है। भारत मलेशिया के पाम तेल का बड़ा ख़रीदार रहा है।

भारत के इस रुख़ से मलेशिया की पाम तेल इंडस्ट्री प्रभावित हो सकती है। इस रिपोर्ट के अनुसार भारत के इस फ़ैसले से इंडोनेशिया को फ़ायदा हो सकता है।

रॉयटर्स ने भारत के वाणिज्य मंत्रालय से इस मामले में संपर्क साधा लेकिन कोई जवाब नहीं मिला है। मुंबई के कारोबारी ने रॉयटर्स से कहा, ''मलेशिया से कारोबार करने से पहले हमें स्पष्टीकरण चाहिए अगर सरकार की तरफ़ से कोई स्पष्टीकरण नहीं आया तो हम इंडोनेशिया से व्यापार शुरू कर देंगे। मुंबई में वेजिटेबल ऑइल कंपनी के सीईओ संदीप बजोरिया ने कहा, ''दोनों तरफ़ के बिजनेसमैन कन्फ़्यूज्ड हैं। हमें नहीं पता कि क्या होने वाला है?''

भारत में खाने में इस्तेमाल किए जाने वाले तेलों में पाम तेल का हिस्सा दो तिहाई है। भारत हर साल 90 लाख टन पाम तेल आयात करता है। यह आयात मुख्य रूप से मलेशिया और इंडोनेशिया से होता है।

2019 के पहले नौ महीनों में भारत ने मलेशिया से 30.9 लाख टन पाम तेल का आयात किया। मलेशियाई पाम ऑइल बोर्ड के डेटा के अनुसार भारत का मलेशिया से मासिक आयात चार लाख 33 हज़ार टन है।

महातिर जब तक सत्ता में रहे, तब तक पाकिस्तान से संबंध अच्छा रहा है।  2003 में उनके रिटायर होने के बाद भारत से मलेशिया की क़रीबी बढ़ी थी। पिछले साल जब एक फिर से महातिर की हैरान करने वाली वापसी हुई तो फिर से पाकिस्तान से क़रीबी बढ़ी।

 

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