सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने ख़ाशोज्जी की हत्या की ज़िम्मेदारी क्यों ली?

 27 Sep 2019 ( आई बी टी एन न्यूज़ ब्यूरो )
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सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने सार्वजनिक तौर पत्रकार जमाल ख़ाशोज्जी की हत्या की ज़िम्मेदारी ली है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़, मोहम्मद बिन सलमान ने कहा है कि वो पिछले साल सऊदी एजेंटों द्वारा की गई ख़ाशोज्जी की हत्या की ज़िम्मेदारी लेते हैं क्योंकि इसे उनके रहते ही अंजाम दिया गया।

क्राउन प्रिंस ने अगले हफ़्ते प्रसारित होने जा रही पीबीएस की एक डॉक्युमेंट्री में यह बात कही है।

यह पहली बार है जब क्राउन प्रिंस सलमान ने सार्वजनिक रूप से यह संकेत दिया है कि वो इस्तान्बुल स्थित सऊदी वाणिज्य दूतावास में पत्रकार जमाल ख़ाशोज्जी की हत्या की ज़िम्मेदारी ले रहे हैं।

पश्चिमी देशों की सरकारों और सीआईए ने कहा था कि सऊदी क्राउन प्रिंस ने ही ख़ाशोज्जी की हत्या का आदेश दिया था लेकिन सऊदी के अधिकारी इस बात से इनकार करते रहे थे कि इसमें उनकी कोई भूमिका थी।

दुनिया भर में इस हत्या की ख़बर सुर्खियों में रही थी और इसके लिए सऊदी सरकार की कड़ी आलोचना भी हुई थी।

ख़ाशोज्जी की हत्या से क्राउन प्रिंस की छवि को भी धक्का लगा था। इस हत्याकांड के बाद दुनिया के सबसे बड़े तेल निर्यातक देश सऊदी के क्राउन प्रिंस ने अमेरिका या यूरोप का दौरा भी नहीं किया है।

क्राउन प्रिंस ने ये बातें ख़ाशोज्जी की हत्या के एक साल पूरा होने से पहले एक अक्टूबर को प्रसारित होने जा रही डॉक्युमेंट्री में कहीं।

उन्होंने पीबीएस के मार्टिन स्मिथ से कहा, "यह मेरे रहते हुआ। मैं इसकी पूरी जिम्मेदारी लेता हूं क्योंकि यह मेरे रहते हुआ।''

इस डॉक्युमेंट्री का नाम 'द क्राउन प्रिंस ऑफ़ सऊदी अरेबिया' है।

डॉक्युमेंट्री में स्मिथ ने जब मोहम्मद बिन सलमान से पूछा कि उनकी जानकारी के बिना हत्या कैसे हुई तो क्राउन प्रिंस ने कहा, "हम दो करोड़ लोग हैं। हमारे 30 लाख सरकारी कर्मचारी हैं।''

स्मिथ ने क्राउन प्रिंस से पूछा कि क्या हत्यारों ने सरकार के निजी जेट का इस्तेमाल किया था? इस पर उन्होंने कहा, "हमारे पास अधिकारी और मंत्री हैं जो कामकाज देखते हैं और वे ज़िम्मेदार लोग हैं। उनके पास ऐसा करने का अधिकार है।''  

इससे पहले सऊदी के अधिकारी ने जमाल ख़ाशोज्जी की हत्या के लिए दूसरों को ज़िम्मेदार ठहराया था।

सरकारी वकील ने कहा था कि तत्कालीन डेप्युटी इंटेलिजेंस चीफ़ ने ख़ाशोज्जी को स्वदेश लाने का आदेश दिया था लेकिन उनकी वापसी करवाने में सफलता न मिलने पर मुख्य वार्ताकार ने उनकी हत्या का आदेश दे दिया।

शुरू में ख़ाशोज्जी के सऊदी अरब के शाही घराने से अच्छे रिश्ते थे लेकिन बाद में वो उसकी आलोचना करने लगे थे।

उधर, अमरीकी प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने जून में रॉयटर्स से कहा था कि ट्रम्प प्रशासन हत्या के जिम्मेदार लोगों को न्याय के दायरे में लाने के लिए स्पष्ट रूप से रियाद पर दबाव बनाए हुए है।

सऊदी अरब के 11 संदिग्धों के खिलाफ़ गुप्त सुनवाई हो रही है जिसकी गति काफ़ी सुस्त है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि प्रिंस मोहम्मद और दूसरे वरिष्ठ सऊदी अधिकारियों की भी जांच होनी चाहिए।

ख़ाशोज्जी अमेरिकी अख़बार वॉशिंगटन पोस्ट के पत्रकार थे और आख़िरी बार उन्हें 2 अक्टूबर 2018 को इस्तांबुल में सऊदी वाणिज्य दूतावास में देखा गया था।

रिपोर्ट्स के मुताबिक़ उनके शव के टुकड़े करके इमारत से बाहर भेजा गया और कुछ भी नहीं मिला।

हत्या के कुछ सप्ताह बाद रियाद में एक निवेश सम्मेलन में क्राउन प्रिंस ने इसे एक जघन्य अपराध और दुखद घटना करार दिया था और ज़िम्मेदार लोगों को न्याय के दायरे मे लाने का वादा किया था।

ख़ाशोज्जी की मंगेतर हैटिस केंगिज़ ने संयुक्त राष्ट में विश्व नेताओं के एक सम्मेलन से बाहर एक समारोह में कहा कि उनका क्राउन प्रिंस से दो सवाल हैं। पहला, ख़ाशोज्जी की हत्या का आदेश किसने दिया और क्यों दिया?

केंगिज़ ने कहा, "यह स्वीकार करके उन्होंने जमाल की हत्या से ख़ुद को अलग कर लिया है।''

उन्होंने कहा, "वह कह रहे हैं कि यह उनकी निगरानी में हुआ लेकिन इसका मतलब हुआ कि वह इस अपराध में शामिल नहीं थे। उनका बयान पूरी तरह से एक राजनीतिक पैंतरेबाज़ी है।''

इससे पहले तुर्की के एक अख़बार ने सऊदी अरब के पत्रकार जमाल खाशोज़्जी की मौत से पहले के कुछ आख़िरी पलों की रिकॉर्डिंग का ब्योरा प्रकाशित किया था।

सरकार समर्थक अख़बार 'सबह' ने लिखा था कि ज़िंदगी के आख़िरी लम्हों में खाशोज्जी ने अपने हत्यारों से उनका मुंह बंद न करने की गुज़ारिश की थी। खाशोज्जी ने कहा था कि उन्हें अस्थमा है और मुंह बंद करने से उन्हें घुटन होगी।

अख़बार के मुताबिक ख़ाशोज्जी की हत्या का ये टेप तुर्की की ख़ुफ़िया एजेंसी को पिछले अक्टूबर में दूतावास से ही मिला था।

 

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