भारत में पेगासस जासूसी मामले में बनाई गई तकनीकी जाँच समिति ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी रिपोर्ट पेश कर दी है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि जाँच के लिए उसके पास जमा किए गए किसी भी मोबाइल फ़ोन में जासूसी साॅफ्टवेयर (स्पाइवेयर) के पुख़्ता सबूत नहीं मिले। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि पाँच फ़ोन्स में मैलवेयर पाए गए हैं।
हालाँकि रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि केंद्र सरकार ने जाँच में पूरा सहयोग नहीं किया।
इसके बाद बीजेपी ने कांग्रेस और उनके नेता राहुल गांधी की आलोचना की। जबकि कांग्रेस ने जाँच समिति से सहयोग न करने को लेकर मोदी सरकार की आलोचना की।
बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने नई दिल्ली स्थित बीजेपी मुख्यालय में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कांग्रेस पर आरोप लगाया कि इस मामले में उसकी ओर से चलाई गई मुहिम झूठी और दुर्भावना से प्रेरित थी।
उन्होंने कहा कि ये अभियान पीएम मोदी को बदनाम करने की कोशिश थी।
रविशंकर प्रसाद ने यह भी आरोप लगाया है कि राहुल गांधी और उनकी पार्टी की समस्या यह है कि उन्हें पीएम मोदी और उनकी सरकार से दुश्मनी है और वे अपनी पार्टी को आगे बढ़ाने के लिए झूठ का सहारा लेते हैं।
रविशंकर प्रसाद के अनुसार, "राहुल गांधी ने कहा था कि पेगासस लोकतंत्र को कुचलने की कोशिश है और यह देश और यहाँ की संस्थाओं पर हमला है।''
दूसरी ओर कांग्रेस ने जाँच समिति से सहयोग न करने को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस ने ट्वीट करके लिखा है कि पेगासस जासूसी कांड को लेकर मोदी सरकार का रवैया शुरू से ही संदेहास्पद रहा है।
कांग्रेस का कहना है कि जाँच समिति की रिपोर्ट मोदी सरकार की कार्यप्रणाली पर बहुत से सवाल खड़े करती है।
सुप्रीम कोर्ट ने आज क्या कहा ?
पेगासस जासूसी मामले में जाँच समिति की रिपोर्ट गुरुवार, 25 अगस्त 2022 को सुप्रीम कोर्ट में खोली गई। इस रिपोर्ट को देखने के बाद अदालत ने बताया है कि पेगासस जासूसी मामले की जाँच के दौरान ज़्यादातर मोबाइल फोन में किसी भी जासूसी सॉफ़्टवेयर (स्पाइवेयर) की मौजूदगी के कोई प्रमाण नहीं मिले।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस आरवी रवींद्रन के नेतृत्व वाली समिति की इस रिपोर्ट के आधार पर अदालत ने कहा कि जाँच के लिए जो 29 मोबाइल फोन जमा किए गए, उसमें से किसी भी फ़ोन में पेगासस स्पाइवेयर नहीं मिले। हालाँकि अदालत ने यह ज़रूर बताया कि 5 फोनों में पेगासस से अलग कोई और मैलवेयर पाया गया है।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने जाँच समिति की सिफ़ारिश का ज़िक्र करते हुए कहा है कि निगरानी के लिए बनाए गए क़ानूनों में संशोधन होना चाहिए। जांच समिति ने देश की साइबर सुरक्षा को मज़बूत बनाने की भी जरूरत बताई है और देश में साइबर हमलों की जाँच के लिए एक विशेष जाँच एजेंसी बनाने की भी सिफ़ारिश की है।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा है कि मोबाइल फ़ोनों में मालवेयर या स्पाइवेयर की जाँच के दौरान उसने समिति के साथ पूरा सहयोग नहीं किया।
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