अमरीका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने येरुशलम को इस्राइल की राजधानी के रूप में मान्यता दे दी है और तेल अवीव स्थित अमरीकी दूतावास को येरूशलम ले जाने की घोषणा की है।
कल रात राष्ट्रपति कार्यालय से टेलीविजन पर संबोधन में उन्होंने विदेश विभाग से कहा कि वह येरुशलम में अमरीकी दूतावास के निर्माण की प्रक्रिया तत्काल शुरू करे।
अमरीकी राष्ट्रपति ने इस्राइल-फिलिस्तीन संघर्ष के समाधान के लिए दो राष्ट्र के सिद्धांत पर प्रतिबद्धता दोहराई।
इस्राइल के प्रधानमंत्री बेन्याएमिन नेतन्याहू ने इसे ऐतिहासिक, साहसिक और न्यायोचित कदम बताया है। नेतन्याहू ने वायदा किया कि येरुशलम के अति संवेदनशील पवित्र स्थानों की यथास्थिति में कोई परिवर्तन नहीं होगा।
अमरीका की यह घोषणा उसकी दशकों पुरानी नीति और अंतरराष्ट्रीय सहमति के खिलाफ है।
विश्व नेताओं ने चेतावनी दी है कि इससे शांति प्रयासों में बाधा आयेगी और इस क्षेत्र में अशांति बढ़ेगी।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव अंतोनियो गुतरस ने कहा है कि येरुशलम महत्वपूर्ण मुद्दा है और इसे सीधी बातचीत के ज़रिए हल किया जाना चाहिए।
फलस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने कहा है कि अमरीका शांति प्रयासों में मध्यस्थता की भूमिका से भागना चाहता है।
इस्लामी गुट हमास के प्रमुख इस्माइल हनीयेह ने कहा है कि फिलिस्तीन की जनता इस साजिश को कामयाब नहीं होने देगी।
तुर्की ने इस फैसले को गैर जिम्मेदाराना बताया है। सऊदी अरब, ब्रिटेन, फ्रांस, यूरोपीय संघ, चीन, रूस, मिस्र, जॉर्डन, ईरान और कतर ने भी अमरीका के फैसले की निंदा की है।
इस बीच, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने कल आपात बैठक बुलाई है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतरस बैठक को संबोधित कर सकते हैं।
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