अमेरिका ने रूस में बने मिसाइल डिफेंस सिस्टम की तैनाती को लेकर नैटो के अपने सहयोगी देश तुर्की पर प्रतिबंध लगा दिया है। तुर्की ने 2019 में ही रूस से ये मिसाइल प्रतिरक्षा प्रणाली हासिल की थी।
अमेरिका का कहना है कि रूस का ज़मीन से हवा में मार करने वाला मिसाइल सिस्टम एस-400 किसी भी तरह से नैटो के तकनीकी मापदंडों पर खरा नहीं उतरता है। एस-400 यूरो-अटलांटिक गठबंधन के लिए ख़तरा है।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने 14 दिसंबर 2020 को इन प्रतिबंधों की घोषणा की जिससे तुर्की की हथियार खरीद पर असर पड़ेगा।
अमेरिकी पाबंदियों की घोषणा के फौरन बाद रूस और तुर्की ने इन प्रतिबंधों की आलोचना की है।
रूस में बने मिसाइल सिस्टम की खरीद के मुद्दे पर अमेरिका तुर्की को पहले ही एफ़-35 फाइटर जेट प्रोग्राम से बाहर कर चुका है।
अमेरिका को किस बात पर आपत्ति है?
अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने एक बयान जारी कर कहा, ''अमेरिका ने शीर्ष स्तर पर तुर्की को कई मौकों पर ये स्पष्ट किया है कि एस-400 सिस्टम की खरीद से अमेरिकी मिलिट्री टेक्नॉलॉजी और सेना ख़तरे में पड़ जाएंगे। इससे रूस के रक्षा उद्योग को बड़ी मात्रा में पैसा मिलेगा और तुर्की के सशस्त्र बलों और उसके रक्षा उद्योग में रूस की पहुंच बढ़ेगी।''
माइक पॉम्पियो ने आगे कहा, ''इसके बावजूद तुर्की ने एस-400 सिस्टम की खरीद और टेस्टिंग को लेकर आगे बढ़ने का फ़ैसला किया जबकि इसके विकल्प मौजूद थे। इससे तुर्की की रक्षा ज़रूरतें भी पूरी होतीं।''
उन्होंने कहा, ''मैं तुर्की से अपील करता हूं कि वो एस-400 के मुद्दे को अमेरिका से तालमेल बिठाकर फौरन सुलझाए। तुर्की अमेरिका के लिए एक अहम क्षेत्रीय सुरक्षा साझेदार है। तुर्की जितनी जल्दी हो सके एस-400 सिस्टम की अड़चन को हटाकर दशकों पुराने हमारे रक्षा सहयोग को जारी रखे।''
तुर्की पर अमेरिकी पाबंदी की जद में रक्षा उद्योग निदेशालय के इस्माइल डेमिर और तीन अन्य कर्मचारी आए हैं। इस पाबंदी के तहत अमेरिका से जारी निर्यात लाइंसेस पर प्रतिबंध लगाया गया है, साथ ही अमेरिकी ज्यूरिक्डिक्शन में आने वाली तुर्की की परिसंपत्तियों को भी फ्रीज़ कर दिया गया है।
तुर्की का क्या कहना है?
दूसरी तरफ़, तुर्की के विदेश मंत्रालय ने ''अमेरिका से उसके पक्षपातपूर्ण फ़ैसले पर फिर से विचार करने की अपील'' की है।
तुर्की ने ये भी कहा है कि वो गठबंधन की भावना के अनुरूप कूटनीतिक बातचीत के रास्ते इस मसले का हल खोजने के लिए तैयार है।
तुर्की विदेश मंत्रालय की ओर से जारी किए गए बयान में ये भी कहा गया है कि ''अमेरिकी पाबंदी से हमारे संबंधों पर नकारात्मक असर'' पड़ेगा और वक़्त आने पर तुर्की इसका बदला लेगा।
तुर्की का कहना है कि अमेरिका ने उसे पैट्रियट मिसाइल बेचने से इनकार कर दिया था जिसके बाद उसने रूस से एस-400 सिस्टम खरीदा।
तुर्की के अधिकारियों का ये भी कहना है कि नैटो के दूसरे सहयोगी देश ग्रीस के पास अपना एस-300 सिस्टम है, हालांकि ये उसने रूस से सीधे नहीं खरीदा है।
रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने अमेरिकी पाबंदी की आलोचना करते हुए कहा है कि ये अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों के प्रति घंमड से भरे व्यवहार को दिखलाता है।
सर्गेई लावरोव ने कहा कि अमेरिका इस तरह की एकतरफा और अवैध तरीके से दमन करने वाली कार्रवाई करता रहा है।
तुर्की कितना महत्वपूण है?
तीस देशों के सैनिक गठबंधन नैटो में तुर्की के पास दूसरी सबसे बड़ी सेना है।
वो अमेरिका का महत्वपूर्ण साझीदार है और सीरिया, इराक़ और ईरान से सीमा लगने के कारण उसकी रणनीतिक अहमियत है।
सीरिया के संघर्ष में भी तुर्की का अहम रोल रहा है। उसने सीरिया के कुछ विद्रोही गुटों को सैनिक और हथियारों की मदद मुहैया कराई है।
हालांकि नैटो और यूरोपीय संघ के कुछ सदस्य देशों के साथ तुर्की के रिश्ते हाल के दिनों में बिगड़े हैं। इन देशों का आरोप है कि तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन साल 2016 के नाकाम तख़्तापलट के बाद लगातार मनमाने तरीके से काम कर रहे हैं।
एस-400 किस तरह से काम करता है?
लंबी दूरी तक सर्विलांस करने में सक्षम रडार चीज़ों पर नज़र रखता है और इसकी सूचना कमांड व्हीकल को भेज देता है जहां संभावित लक्ष्य का आकलन किया जाता है।
लक्ष्य की पहचान के बाद कमांड व्हीकल मिसाइल लॉन्च का आदेश देता है।
इससे जुड़ा डेटा लॉन्च व्हीकल के पास भेजा जाता है और वहां से ज़मीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल दागी जाती है।
रडार मिसाइल को उसके लक्ष्य तक पहुंचने में मदद करता है।
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