आराकान रोहिंग्या रक्षा सेना म्यांमार के उत्तरी सूबे रख़ाइन में सक्रिय एक सशस्त्र संगठन है। ये संगठन रोहिंग्या मुस्लिम अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए सशस्त्र संघर्ष कर रहा है और इसके ज़्यादातर सदस्य बांग्लादेश से आए अवैध शरणार्थी बताए जाते हैं।
इस संगठन की अगुवाई अताउल्लाह नाम का एक शख़्स कर रहा है। अताउल्लाह वीडियो संदेशों के ज़रिए रखाइन में अपने संगठन की गतिविधियों के बारे में बताता रहता है।
म्यांमार की सरकार की नज़र में आराकान रोहिंग्या रक्षा सेना एक चरमपंथी संगठन है।
अताउल्लाह विदेशी इस्लामी चरमपंथियों से संबंध रखने के आरोपों से इनकार करते हैं। अताउल्लाह का कहना है कि उनकी लड़ाई देश के बौद्ध बहुमत के दमन के ख़िलाफ़ है।
उन्होंने कहा, ''अगर हमें हमारे हक़ नहीं मिलते और अगर इस लड़ाई में लाखों रोहिंग्या मुसलमानों की जान चली जाती है तो हम मरते दम तक तानाशाह सैनिक सरकार के ख़िलाफ़ लड़ते रहेंगे। हम रात के वक़्त रोशनी नहीं जला सकते। हम दिन के वक़्त एक जगह से दूसरे जगह नहीं जा सकते। हर जगह नाकाबंदी है। ज़िंदगी जीने का ये तो कोई तरीका नहीं है।''
अगस्त में पुलिस चौकियों पर आराकान रोहिंग्या रक्षा सेना के सशस्त्र हमलावरों ने कथित तौर पर हमला किया जिसके बाद रख़ाइन में रोहिंग्या मुसलमानों का संकट गहरा गया।
इसके बाद म्यांमार के सुरक्षा बलों की कार्रवाई शुरू और तब से हज़ारों मुसलमानों बांग्लादेश की तरफ़ पलायन कर गए हैं।
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि म्यांमार के सुरक्षा बलों ने रोहिंग्या मुसलमानों के ख़िलाफ़ बड़े पैमाने पर नरसंहार और गैंग रेप को अंजाम दिया है।
संयुक्त राष्ट्र ने इसे मानवता के विरुद्ध अपराध करार दिया है।
हालांकि म्यांमार की सेना इन आरोपों से इनकार करती है और उसका कहना है कि उसने वैध तरीके से चरमपंथ विरोधी अभियान चलाया है।
म्यांमार के उत्तर पश्चिमी इलाके के रखाइन प्रांत में दस लाख से ज़्यादा रोहिंग्या मुसलमान रहते हैं, लेकिन उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे बुनियादी नागरिक अधिकारों से मरहूम रखा गया है।
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