भारत के सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार, 30 अगस्त, 2022 को साल 2002 के गुजरात दंगों से जुड़े सभी मामलों को बंद कर दिया। शीर्ष न्यायालय में गुजरात दंगों से जुड़ी 10 याचिकाएँ थीं, जिनमें से एक राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की ओर से भी दायर की गई थी।
भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस रविंद्र भट्ट और जेबी परदीवाला की बेंच ने कहा कि कोर्ट इस मामले में विशेष जाँच समिति गठित कर चुकी थी और दंगों से जुड़े नौ में से आठ मामलों की सुनवाई भी पूरी हो चुकी है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "चूंकि सभी मामले अब अनावश्यक हो चुके हैं, इसलिए अदालत को अब इनपर सुनवाई करने की ज़रूरत नहीं है।''
एसआईटी की ओर से कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने बताया कि नौ में से केवल एक मामले की सुनवाई बाकी है। ये नरोदा गांव इलाके से जुड़ा मामला है और इसमें भी आख़िरी दौर की जिरह जारी है। अन्य मामलों में सुनवाई पूरी हो चुकी है या फिर हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट के सामने इनको लेकर पुनर्विचार याचिकाएं दाखिल की गई हैं।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि 8 मामलों में सुनवाई पूरी होने की वजह से अब लंबित याचिकाएं गैर-ज़रूरी हो गई हैं।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि नरोदा दंगा मामले में भी कानून के अनुसार सुनवाई होगी और एसआईटी उसके अनुरूप कार्रवाई कर सकती है।
27 फरवरी, 2002 में अयोध्या से लौट रही साबरमती एक्सप्रेस के कोच एस-6 में गोधरा स्टेशन पर आग लगाने की घटना हुई थी, जिसमें 59 कारसेवकों की मौत हो गई थी, जिसके बाद गुजरात में दंगे भड़क उठे थे।
गुजरात दंगों में 1000 से ज़्यादा लोग मारे गए थे जिनमें ज़्यादातर मुसलमान थे।
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