बीजेपी और आरएसएस पर तीखा हमला करते हुए राहुल गांधी ने आज आरोप लगाया कि ये लोगों में भय का माहौल पैदा कर रहे हैं, साथ ही जोर दिया कि कांग्रेस इनकी विचारधारा को परास्त कर देगी और बीजेपी को सत्ता से उखाड़ फेंकेंगी।
इसे दो विचारधाराओं के बीच का संघर्ष करार देते हुए कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि उनकी पार्टी का दर्शन लोगों को भयमुक्त होने को कहता है, जबकि भाजपा का दर्शन लोगों में भय और डर पैदा करने वाला है।
राहुल ने कहा, यह दो दर्शन के बीच की लड़ाई है। यह कोई नई लड़ाई नहीं है। यह लड़ाई हजारों वर्षों पुरानी है। कांग्रेस पार्टी का दर्शन कहता है कि भयभीत नहीं हों। दूसरा दर्शन कहता है कि भयभीत करो, डराओ।
कांग्रेस नेता ने कहा, आप भाजपा की नीतियों को देखें। पूरा मकसद देश के लोगों को डराने का है। आतंकवाद, माओवाद, नोटबंदी से डराओ, मीडिया को डराओ। पिछले दो-तीन महीने में पूरे देश में ऐसा डर फैल गया है।
राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी जहां मजदूरों और किसानों को भयमुक्त होकर आगे आने को कहती है, उन्हें 100 दिनों के रोजगार की गारंटी देने की बात करती है, यह भी कहती है कि बाजार मूल्य से कम कीमत पर किसी की जमीन नहीं ली जायेगी, वहीं नरेन्द्र मोदी उनसे पैसा और जमीन छीन रहे हैं।
उन्होंने कहा कि झारखण्ड, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में जहां आदिवासी अपनी जमीन, जल और वन अधिकारों के लिए खड़े हो रहे हैं, उनका दमन किया जा रहा है।
कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा, ये लोग (बीजेपी और आरएसएस) सोचते हैं कि वे लोगों के बीच भय और घृणा फैला कर शासन कर सकते हैं। कांग्रेस पार्टी इन्हें परास्त करेगी और सत्ता से हटा देगी। हम उनसे (बीजेपी और आरएसएस) से घृणा नहीं करते हैं, लेकिन हम उनकी विचारधारा को परास्त कर देंगे।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी भय को समाप्त करने के लिए खड़ा होगी। भारत एक मजबूत देश है और यहां के लोगों को दुनिया में किसी से भी डरने की जरूरत नहीं है।
उन्होंने कहा कि उनकी राजनीति और ढांचे का आधार भय को गुस्से में बदलने का है। यह पिछले ढाई वर्षों में नहीं हो रहा है, लेकिन वे (बीजेपी और आरएसएस) ऐसा करते रहे हैं। यह विचारधारा ऐसा ही करती है।
राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी में भयमुक्त होकर आगे बढ़ने का दर्शन है और यह महात्मा गांधी से लेकर जवाहर लाल नेहरू तक में देखा गया है जो अंग्रेजों से भयभीत नहीं होने की बात कहता है। हरित क्रांति के दौरान किसानों को भयमुक्त होने को कहा गया, बैंकों के राष्ट्रीयकरण के दौरान और संप्रग सरकार के समय खाद्य सुरक्षा कानून और भूमि अधिग्रहण कानून के समय लोगों को भयमुक्त होने का संदेश दिया गया।
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