साल 2015 में पेरिस की अलग-अलग जगहों पर हुए हमलों को करने वाले गुट के एकमात्र जीवित हमलावर को आतंकवाद और हत्या का दोषी ठहराया गया है।
सलाह अब्देसलाम को फ़्रांस के इतिहास में अब तक की सबसे कड़ी सज़ा दी गई है। इस हमले में 130 लोगों की जान गई थी। सलाह को इस अपराध के लिए आजीवन क़ैद की सज़ा दी गई है।
अदालत ने 19 अन्य लोगों को भी मामले में दोषी पाया है। इनमें से समझा जाता है कि 6 दोषियों की मौत हो चुकी है।
इस मामले की सुनवाई भी आधुनिक फ़्रांस के इतिहास में सबसे लंबे समय तक चली। मामले में सितंबर 2021 से सुनवाई जारी थी।
पिछले नौ महीनों से पीड़ित, पत्रकार और मृतकों के परिजन पेरिस में इस मामले की सुनवाई के लिए विशेष तौर पर बनाए गए कोर्ट रूम में जुटते थे। ये हमला फ़्रांस के इतिहास में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से सबसे वीभत्स माना जाता है।
13 नवंबर, 2015 को फ़्रांस में बार, रेस्तरां, नेशनल फ़ुटबॉल स्टेडियम और एक म्यूज़िक वेन्यू सहित अलग-अलग जगहों पर हमले हुए थे। इसमें सैकड़ों लोग घायल भी हुए थे।
मुक़दमे की शुरुआत में अब्देसलाम ने ख़ुद को चरमपंथी संगठन इस्लामिक स्टेट का 'सिपाही' बताया था।
हालाँकि, बाद में अब्देसलाम ने पीड़ितों से माफ़ी मांगी और कोर्ट को कहा कि वो हत्यारा नहीं है और उसे हत्यारोप में सज़ा देना अन्याय होगा।
अब्देसलाम ने दावा किया कि हमलों वाली रात उसने अपने आत्मघाती जैकेट को न उड़ाने का फ़ैसला लिया था। लेकिन बाद में कोर्ट के सामने पेश सबूतों से ये पता लगा कि वास्तव में जैकेट में ख़राबी की वजह उसमें विस्फ़ोट नहीं हुआ था।
अब्देसलाम को ताउम्र जेल में रहना होगा। फ़्रांस के कानूनों के अनुसार अब वो पैरोल के लिए भी 30 साल की सज़ा काटने के बाद ही आवेदन कर सकते हैं।
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