दिल्ली यूनिवर्सिटी के रामजस कॉलेस में 22 फरवरी को एक सेमिनार के रद्द होने को लेकर एबीवीपी और एआईएसए के कार्यकर्ताओं में हिंसक झड़प हो गई। एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने जेएनयू के छात्र उमर खालिद के बुलाने का विरोध किया था जिसके बाद सेमिनार को भी रद्द कर दिया गया। इसके बाद दोनों संगठनों के कार्यकर्ता आमने-सामने आ गए और आपस में भिड़ गए। बाद में छात्रों ने एबीवीपी के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया। इस दौरान पुलिस ने छात्रों को लाठीचार्ज और अन्य तरीकों से नियंत्रित करने की कोशिश की।
दिल्ली यूनिवर्सिटी की एक छात्रा ने अंग्रेजी वेबसाइट द क्विंट को उस दिन की अपनी आपबीती बताई है। छात्रा ने बताया कि महिला पुलिसकर्मियों के होने के बावजूद भी उनके साथ पुरुष पुलिसकर्मियों ने मारपीट की।
छात्रा ने बताया, ''22 फरवरी की शाम को मैं 200 से ज्यादा छात्रों के साथ थी। हम लोग सड़क पर बैठे थे और नारे लगा रहे थे। एक महिला एसएचओ वहां आई और हमसे कहा कि यहां से चले जाओ। उसने हमें बोला कि हम पांच मिनट में यह जगह खाली कर दें। हम लोगों ने मना कर दिया और कहा कि जब तक एफआईआर दर्ज नहीं होगी, हम लोग तब तक नहीं जाएंगे। उन लोगों ने हमें चेतावनी नहीं दी। उन लोगों ने हमें लाठीचार्ज के बारे में भी नहीं बताया। हम लोगों ने हमारा विरोध प्रदर्शन जारी रखा। तभी अचानक मैंने शोर सुना। दो पुलिसवालों ने मेरा हाथ पकड़ा और सड़क पर घसीटना शुरु कर दिया। वे मुझे बस तक ले गए। उन्होंने मेरे चेहरे पर घूसे मारे। वे मुझे बस के पीछे ले गए, जहां पांच-छह दूसरे पुलिसवाले इंतजार कर रहे थे। उन्होंने मुझे पीटना शुरू कर दिया और बाल खींचे। उन्होंने चिल्लाया, 'बस के अंदर चलो'। लेकिन वे मुझे बस के अंदर नहीं जाने दे रहे थे। वे मुझे दरवाजे के पास धक्के देते रहे और मुझे पीटते रहे। यह स्पष्ट था कि वे मुझे चोट पहुंचाना और डराना चाहते थे। अगर वे मुझे बस के अंदर ले जाना चाहते थे तो मुझे कह सकते थे या मुझे घसीटकर अंदर ले जा सकते थे। वहां पर महिला पुलिसकर्मी भी मौजूद थीं।
साथ ही छात्रा ने बताया, ''मैंने सोचा कि हो सकता है मेरे छोटे बाल होने की वजह से उन्होंने मुझे लड़का समझ लिया होगा। लेकिन तभी देखा कि मेरी ही कॉलेज की दूसरी लड़की के भी बाल नोचे जा रहे थे। एबीवीपी के कार्यकर्ता महिलाओं को रेप की धमकियां दे रहे थे। लेकिन पुलिस हमें पीट रही थी और बस में भर रही थी। इसके बाद हमें हिरासत में ले लिया गया और एक घंटे तक बस में रखा। हमें रात में 9 बजे के आसपास हौज खास स्टेशन पर उतारा गया। मेरे पास मेरा सामान नहीं था, यहां तक की मेरा मोबाइल फोन भी नहीं। मेरा सामान उस दिन गायब हो गया।''
इसके अलावा छात्रा ने कहा, ''जब हमें हौज खास मेट्रो स्टेशन पर उतारा गया तो हम लोग यह सोच रहे थे कि अब क्या करें? हमें हमारे दोस्त से पता चला कि एबीवीपी के कुछ कार्यकर्ता नॉर्थ कैम्पस के पास सड़कों पर घूम रहे हैं और प्रदर्शन में हिस्सा लेने वाले छात्रों के साथ मारपीट कर रहे हैं। हम लोग वापस जाने से डर रहे थे। हमें यह भी सुनने को मिला कि एबीवीपी के कार्यकर्ता होस्टलों में छापा मारकर उन छात्रों को पीट रहे हैं, जिन्होंने प्रदर्शन में हिस्सा लिया था। इसके बाद हमारे एक टीचर ने हमें वापस पीजी, होस्टल और फ्लैट में पहुंचाया।''
(आईबीटीएन के एंड्रॉएड ऐप के लिए यहां क्लिक करें. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं.)
शेयरिंग के बारे में
ये कहना गलत है कि भारत में साल 2014 से पहले कुछ नहीं हुआ: अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज़...
कच्छतीवु द्वीप पर पीएम मोदी का बयान: कांग्रेस ने विदेश मंत्री जयशंकर के रुख़ पर उठा...
सुप्रीम कोर्ट की ईडी पर सख्त टिप्पणी- बिना सुनवाई सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर कर-कर ...
भारत की केंद्र सरकार ने फ़ैक्ट चेकिंग यूनिट के गठन की अधिसूचना जारी की
...असम में सीएए विरोधी प्रदर्शन में प्रधानमंत्री, गृहमंत्री के पुतले फूंके गए, सैकड़ों...