लेजेंड्री एक्टर ओम पुरी नहीं रहे (1950-2017)

 06 Jan 2017 ( आई बी टी एन न्यूज़ ब्यूरो )
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बॉलीवुड एक्टर ओम पुरी का शुक्रवार सुबह दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वो 66 साल के थे। ओम पुरी के दोस्त और बॉलीवुड स्टार्स ने उनके घर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी।

ओम पुरी ने 1976 में मराठी फिल्म 'घसीराम कोटवाल' से करियर की शुरुआत की थी। साथ ही ओम पुरी भावनी भवई (1980), सदगती (1981), अर्ध सत्य (1982), मिर्च मसाला (1986) और धारावी (1992) जैसी फिल्मों का हिस्सा रहे। ओम पुरी को उनकी अपरंपरागत अदाकारी के लिए खूब सराहा गया है।  

ओम पुरी भले ही अब हमारे बीच ना हों, लेकिन अपनी बेहतरीन फिल्मों के जरिए वो हमेशा अपने फैन्स के बीच मौजूद रहेंगे।

1980 में आई गोविंद निहलानी की 'आक्रोश' से ओम पुरी ने हिन्दी फिल्म जगत में अपनी पहचान बनाई। विजय तेंदुलकर के नाटक पर आधारित फिल्म में नसीरुद्दीन शाह, ओम पुरी और स्मिता पाटिल लीड रोल में थे। फिल्म में पुरी ने लहन्या भीखू नाम के एक आदिवासी का किरदार निभाया था। ओम पुरी को उनके अभिनय के लिए नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था।

1983 में आई फिल्म 'अर्ध सत्य' में ओम पुरी ने पुलिस इंस्पेक्टर का किरदार निभाया था। ये रोल उनका अब तक का सबसे यादगार किरदार माना जाता है। ये फिल्म भी गोविंद निहलानी ने डायरेक्ट की थी। ओम पुरी पुलिस अफसर के किरदार में व्यवस्था से लड़ते नजर आए। उनकी इस अदाकारी को हिंदी सिनेमा में अभि‍नय का एक पड़ाव माना जाता है। फिल्म ने कई अवॉर्ड अपने नाम किए साथ ही भारतीय सिनेमा के इतिहास में अपना नाम दर्ज कराया।

1989 में आई केतन मेहता की फिल्म 'मिर्च मसाला' में ओम पुरी ने एक बहादुर बूढ़े चौकीदार का दमदार रोल अदा किया था जिसने सुबेदार के दोस्तों को मसालों के कारखाने में घुसने नहीं दिया। फिल्म में ओम पुरी के साथ स्मिता पाटिल और नसीरुद्दीन शाह भी थे। इस फिल्म को महिला सशक्त‍िकरण पर बनी फिल्मों में एक खास नाम माना जाता है।

1983 में कुंदन शाह की 'जाने भी दो यारों' एक बेहतरीन पॉलिटिकल सटायर फिल्म थी। ओम पुरी ने फिल्म में अहूजा नाम के एक पियक्कड़ व्यक्ति का रोल अदा किया। यह कहानी है दो भले फोटोग्राफरों विनोद और सुधीर (नसीरुद्दीन शाह, रवि वासवानी) की, जिन्हें 'खबरदार' की संपादक शोभा (भक्ति बर्वे) खास काम सौंपती है। उन्हें बिल्डर तरनेजा (पंकज कपूर) और भ्रष्ट म्यूनिसिपल कमिश्नर डिमेलो (सतीश शाह) की मिलीभगत का भंडाफोड़ करना है। एक दिन अनजाने में विनोद और सुधीर ऐसा फोटो खींच लाते हैं जिसमें तरनेजा एक आदमी का खून करते हुए नजर आ रहा है।

भीष्म साहनी के नॉवल पर बनी गोविंद निहलानी की फिल्म 'तमस' में ओम पुरी का किरदार नाथू आज भी कहीं ना कहीं लोगों के जेहन में होगा। किस तरह नाथू अपनी गर्भवती पत्नी और बूढ़ी मां को बचाने की हर संभव कोशिश करता है। 1988 में आई इस फिल्म का निर्देशन गोविंद निहलानी ने किया था।

 

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