उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरिया से आगे बातचीत से इनकार किया है और इसके लिए दक्षिण कोरिया की ग़लती बताया है।
उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति मून जे-इन के संबोधन के जवाब में अपना बयान जारी किया है।
इससे पहले, दक्षिण कोरियाई सेना के मुताबिक शुक्रवार को उत्तर कोरिया ने अपने पूर्वी समुद्री तट पर दो मिसाइलें दागीं थीं। एक महीने के भीतर उत्तर कोरिया ने छठी बार ऐसे प्रक्षेपण किए हैं।
दक्षिण कोरियाई सेना के ज्वाएंट चीफ़ ऑफ़ स्टॉफ़ ने बताया है कि उत्तर कोरिया ने ये दोनों मिसाइलें गुरुवार को स्थानीय समय के मुताबिक आठ बजे दागीं गईं जो 230 किलोमीटर की दूरी तय करने में कामयाब हुई।
इससे छह दिन पहले उत्तरी कोरिया ने दो कम दूरी वाली बैलेस्टिक मिसाइलें दागीं थीं जो जापान सागर में जाकर गिरी थीं।
ख़ास बात यह है कि उत्तर कोरिया यह प्रक्षेपण, अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप और उत्तरी कोरियाई राष्ट्रपति किम जोंग उन की मुलाकात के बाद कर रहे हैं, जून में हुई मुलाकात के दौरान दोनों परमाणु निशस्त्रीकरण की बात आगे बढ़ाने पर सहमत हुए थे।
परमाणु हथियार विकसित करने के आरोप के चलते उत्तर कोरिया अंतरराष्ट्रीय पाबंदियों का सामना कर रहा है।
जापानी शासन से स्वाधीनता के मौके पर, राष्ट्रपति मून ने 2045 तक कोरियाई प्रायद्वीप के एकीकृत होने की उम्मीद की है।
कोरिया का विभाजन द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद दो देशों में हो गया था। दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति मून के मुताबिक इस अहम मोड़ पर निशस्त्रीकरण को हासिल करना सबसे अहम था हालांकि इसके बाद बातचीत अटकने की घोषणा हुई है।
उन्होंने टेलीविजन पर प्रसारित अपने भाषण में कहा, "एक नए कोरियाई प्रायद्वीप जो खुद के साथ पूर्वी एशिया के लिए भी शांति और समृद्धि ले कर आए, का इंतज़ार हम सबको है।''
उत्तर कोरिया ने अपने बयान में कहा है, "दक्षिण कोरिया अपना संयुक्त सैन्य अभ्यास जारी रखे हुए है और इलाके में शांति और शांतिपूर्ण अर्थव्यवस्था की बात कर रहा है। ऐसा करना सही नहीं है।''
उत्तर कोरियाई प्रवक्ता ने अपने बयान में कहा, "हम लोग उनकी सोच प्रक्रिया पर भी सवाल उठा रहे हैं क्योंकि एक तरफ तो वे उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के बीच बातचीत की बात कर रहे हैं जबकि दूसरी ओर हमारी सेना को 90 दिनों में नष्ट करने की योजना बना रहे हैं। वे वास्तव में बेशर्म आदमी हैं।''
उत्तर कोरिया ने अमरीका-दक्षिण कोरिया के बीच सैन्य अभ्यास को लेकर नाराज़गी जताई है, यह सैन्य अभ्यास अभी चल रहा है। उत्तर कोरिया की ओर से इसे पहले युद्ध की तैयारी बताया था।
उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग-उन ने हाल में डोनल्ड ट्रंप को लिखे अपने खत में इस महंगे सैन्य अभ्यास को लेकर शिकायत की थी।
उत्तर कोरिया की ओर से एकीकरण के मसले को देखने वाले प्रवक्ता ने कहा कि बातचीत बंद करने का फ़ैसला दक्षिण कोरिया की ओर से सैन्य अभ्यास के आयोजन के चलते किया गया है।
सियोल से बीबीसी संवाददाता लाउरा बिकर का विश्लेषण:
उत्तर कोरियाई प्रवक्ता ने दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति को 'बेशर्म' बताया है और उनके दोनों देशों के एकीकरण वाले बयान को निरर्थक बताया है।
लेकिन सबसे ज़्यादा मुश्किल की बात यह है कि सियोल में राजनयिक बातचीत के दरवाजे़ बंद हो गए हैं।
दक्षिण कोरिया के साथ बातचीत से इनकार करके उत्तर कोरिया ने अपनी ओर से यह संकेत दिया है कि वह अमरीका से सीधे बातचीत करेगा। यह दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति के लिए बेहद अपमानजनक है क्योंकि उन्होंने ही डोनल्ड ट्रंप और किम जोंग-उन के बीच बातचीत में अहम भूमिका निभाई थी।
प्योंगयांग को यह लग सकता है कि उसे अपने पड़ोसी देश से कुछ हासिल नहीं हो सकता, और अमरीका की मंज़ूरी के बिना कुछ भी रियायत नहीं मिल सकती। ऐसे में अब जब किम जोंग-उन ने व्हाइट हाउस से सीधा संपर्क स्थापित कर लिया है ऐसे में सीधे संपर्क करना उन्हें बेहतर लगा होगा, हाल ही में ट्रंप ने उनके खत को ख़ूबसूरत पत्र भी कहा था।
दरअसल अमरीकी प्रशासन ने एक तरह से उत्तर कोरिया को ऐसा करने का रास्ता दिया है। उत्तर कोरिया की छह मिसाइलें दागने के बाद भी एक बार भी अमरीका ने उसकी आलोचना नहीं की है।
डोनल्ड ट्रंप भी सार्वजनिक तौर पर दक्षिण कोरिया के साथ सैन्य अभ्यास को महंगा बता चुके हैं।
हालांकि अभी भी सबकुछ ख़त्म नहीं हुआ है। यह एक तरह से धमकी भी हो सकती है। लेकिन इससे यह तो जाहिर हो ही रहा है कि दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति मून बहुत जल्दी सियोल में किम जोंग-उन की मेजबानी नहीं कर रहे हैं।
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