म्यांमार सैनिक गांवों को घेरकर रोहिंग्या मुसलमानों पर करते है अंधाधुंध फायरिंग, सबूत मिटाने के लिए आग के हवाले कर देते हैं लाशें

 05 Sep 2017 ( न्यूज़ ब्यूरो )
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म्यांमार में रोहिंग्या मुस्लिमों पर अत्याचार अभी जारी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अभी तक करीब 400 लोगों की मौत इस हिंसा में हो चुकी है।

रोहिंग्या मुस्लिमों की हत्या का आरोप म्यांमार के सैनिकों पर लगाया जा रहा है। अल्पसंख्यक समुदाय के वकील का कहना है कि इस नरसंहार के सबूत मिटाने के लिए म्यांमार के सैनिक और स्थानीय बौद्ध लोग साथ में लगे हुए हैं। ये लोग मारे गए रोहिंग्या मुस्लिमों की लाशों को इकट्ठा करते हैं और फिर जला देते हैं।

म्यांमार के राखिने क्षेत्र में हिंसा पर नजर रखने वाली एक संस्था अराकन प्रोजेक्ट की डायरेक्टर क्रिस लेवा ने बताया कि हमारे पास दस्तावेज हैं कि राथेडाउंग क्षेत्र में एक साथ 130 लोगों को मार दिया गया। साथ ही उन्होंने कहा कि अन्य तीन गांवों में भी दर्जनों लोगों को मार देने की खबर मिली है।

उन्होंने बीबीसी वर्ल्ड सर्विस से बात करते हुए कहा, ''हम सोचते हैं कि 130 लोग मारे गए हैं, लेकिन यह आंकड़ा इससे भी ज्यादा है। सुरक्षाबल गांवों को घेर लेते हैं और फिर लोगों पर अंधाधुंध फायरिंग करते है। पिछले साल अक्टूबर-नवंबर महीने में हुई हिंसा की इस बार की हिंसा से तुलना करें तो इस बार यह देखने को मिला है कि इस बार सेना के साथ स्थानीय बौद्ध लोग भी मिले हुए हैं। लोगों की हत्या के बाद हम देख रहे हैं कि सेना और आम लोग मिलकर मृतकों के शवों को इकट्ठा कर रहे हैं और उन्हें जला दते हैं, ताकि कोई सबूत ना रहें।''

वहीं दूसरी ओर संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (यू एन एच सी आर) ने मंगलवार को कहा कि म्यांमार में हिंसा से बचने के लिए देश छोड़कर बांग्लादेश पलायन करने वाले रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थियों की संख्या पूर्व में सोची गयी संख्या से कहीं ज्यादा 1,23,000 है।

यू एन एच सी आर की प्रवक्ता विवियन टैन ने कहा कि रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थियों की यह संख्या कल की अनुमानित संख्या 87,000 से बढ़ायी गयी है जो स्थापित एवं अस्थायी शरणार्थी शिविरों से जुटाए गए ज्यादा सटीक आंकड़े पर आधारित है।

उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि सभी 36,000 नए शरणार्थियों ने पिछले 24 घंटे में प्रवेश किया। तब भी 'यह संख्या चिंताजनक है' और 'तेजी से बढ़ती जा रही है।'

रोहिंग्या मुस्लिमों का ताजा पलायन 25 अगस्त को तब शुरू हुआ, जब रोहिंग्या विद्रोहियों ने म्यांमार पुलिस की चौकियों पर हमले किए जिसके बाद सुरक्षाबलों ने जवाब में विद्रोहियों के सफाए के लिए अभियान शुरू किया।

 

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