जलवायु परिवर्तन का असर सिर्फ पर्यावरण पर ही नहीं पड़ रहा बल्कि यह इंसान के सेहत पर भी विपरीत असर डाल रही है, खासकर दिमागी सेहत पर।
अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसियशन और ईको अमेरिका के शोधकर्ताओं द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया कि ग्लोबल वार्मिंग से उत्पन्न हुई स्थितियों से इंसानों में अवसाद, चिंता और अनिद्रा बढ़ रही है और वह लगातार हिंसक होता जा रहा है। इससे मस्तिष्काघात का खतरा भी बढ़ गया है और लोग 'पोस्ट ट्रॉमाटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर' (पीटीएसडी) का शिकार हो रहे हैं।
क्या है पीटीएसडी
पीटीएसडी कई मानसिक विकारों जैसे गंभीर अवसाद, गुस्सा, अनिद्रा से जुड़ा रोग है। इससे व्यक्ति अधिक चिड़चिड़ा हो जाता है, चीजें भूलने लगता है। काम में ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई, अति सतर्कता, अचानक तेज गुस्सा आना और कभी-कभी व्यक्ति बीमारी में हिंसक हो जाता है। सोते समय अचानक डर से दिल का दौरा पड़ने की समस्या हो सकती है।
कैटरीना तूफान प्रभावित क्षेत्रों पर शोध
शोधकर्ताओं ने 2005 में आए तूफान कैटरीना से प्रभावित हुए क्षेत्र के हजारों लोगों पर शोध किया और पाया कि तूफान के बाद उनमें आत्महत्या का ख्याल अधिक बढ़ गया था।
49 फीसदी अवसाद के शिकार
इलाके के 49 फीसदी लोगों में पीटीएसडी और अवसाद का खतरा पाया गया। साथ ही वह समाजिक स्तर पर अलगाव महसूस करने लगे।
प्रतिरोधक क्षमता पर असर
जलवायु परिवर्तन शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को भी कमजोर करता है। प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने से बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
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