बसपा मुखिया मायावती ने सपा में चल रहे घमासान पर मुस्लिम वोटों को लेकर चिंता जताई है। साथ में यह भी कहा कि दलित नासमझ नहीं हैं कि अम्बेडकर का नाम इस्तेमाल करने से किसी के बहकावे में आ जाएं।
मायावती मंगलवार को लखनऊ में मीडिया से बात कर रही थीं। उन्होंने नये वर्ष की बधाई देते हुए केन्द्र सरकार की नीतियों पर भी हमला बोला।
बसपा मुखिया ने सपा में चल रहे घमासान पर कहा कि अखिलेश व शिवपाल खेमे में वोट बंटेंगे। इससे मुसलमानों के वोट बंटेंगे, इससे भाजपा मजबूत होगी। उन्होंने कहा कि यूपी में यादव का वोट 5 फीसदी ही है, जो 60-70 विधानसभा सीटों पर ही निर्णायक वोट होता है।
मायावती ने कहा कि ओबीसी और सवर्णों को भी बसपा का टिकट दिया गया है। इससे इन प्रत्याशियों को उनकी जाति के साथ दलित वोट भी मिलेगा। दलितों को पता है कि बसपा उनके लिए संघर्ष करती है। उन्होंने कहा कि विधानसभा की 87 सीटों पर एससी और मुस्लिमों को 97 सीटों पर बसपा ने टिकट दिया है। जबकि 106 टिकट ओबीसी को दिए गए हैं। बसपा ने सवर्णों को 113 टिकट दिए हैं। इसमें 66 ब्राह्मण, 36 क्षत्रिय और 11 अन्य हैं। उन्होंने कहा कि बसपा जातिवादी पार्टी नहीं है। उन्होंने कांग्रेस को भी निशाने पर लेते हुए वोट न बांटने की अपील की। मायावती ने जनता से अपील की कि सर्वजन की नीतियों पर चलने वाली बसपा की सरकार बनाएं।
उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा निजीकरण कर रही, इसलिए आरक्षण का फायदा कम मिल रहा है। उन्होंने कहा कि बसपा ने अपने शासनकाल में सारे वर्गों को भागीदारी दी। साथ ही आर्थिक आधार पर भी आरक्षण की पुरजोर सिफारिश की है।
मायावती ने एक बार फिर मोदी सरकार पर हमला बोला। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीती 31 दिसंबर को दिए गए भाषण को निराशाजनक बताते हुए कहा कि दो जनवरी को लखनऊ में मोदी का भाषण विधानसभा चुनाव को ध्यान में रख कर दिया गया है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार बहुमत के अहंकार में है।
उन्होंने कहा, नोटबन्दी जैसी कोई और मुसीबत अब न आये। नोटबन्दी के फैसले को अपरिपक्व फैसला बताते हुए मायावती ने कहा कि आजाद भारत के इतिहास में नोटबन्दी काला अध्याय बन गया है। केंद्र सरकार की गलत कार्यशैली के कारण लोगों में चिंता बरकरार है। उन्होंने मोदी के लिए सद्बुद्धि की प्रार्थना की और कहा कि 2017 में लोगों का पैसा उनके पास ही बना रहे।
उन्होंने कहा कि 31 दिसंबर को मोदी के सम्बोधन के दौरान देशवासी ठोस व बुनियादी फैसलों के इंतजार में थे, पर उन्हें निराश होना पड़ा। किसानों को जहां कर्ज माफी की आशा थी, वहीं गरीबों को अपने खाते में 15-20 लाख रुपये आने की घोषणा का इन्तजार था। हालांकि उन्होंने उस दिन जो वादे किए थे, वह भी पूरे होने वाले नहीं हैं।
बसपा मुखिया ने कहा कि कालाधन और भ्रष्टाचार के नाम पर नोटबन्दी को लेकर जनता नाराज है। यह सरकार नोटबन्दी को लेकर अपने फैसले बदलती रही। अपने वायदे के मुताबिक, इनको यह बताना चाहिये था कि अब तक कितना कालाधन पकड़ा गया? मोदी को ये बताना चाहिये था कि भ्रष्टाचार कितना कम हुआ? नोटबंदी के 50 दिन पूरे होने पर सरकार रिपोर्ट दे।
उन्होंने कहा कि मोदी ने कहा कि यूपी चुनाव उनके लिए जिम्मेदारी है। यह बसपा के लिए भी जिम्मेदारी है प्रदेश को गुंडागर्दी से मुक्त कराने की।
मायावती ने कहा कि मोदी ने कहा है कि बसपा अपना पैसा बचाने में लगी है, जबकि बसपा अपने कार्यकर्ताओं का पैसा बचाने में लगी है, जबकि भाजपा जनता के पैसे से धन्नासेठों को फायदा पहुंचाने में लगी है।
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