पाकिस्तान सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ़ गफ़ूर ने कहा है कि कश्मीर के लिए न चाह कर भी युद्ध करना हमारी मजबूरी होगी।
उन्होंने कहा, "कश्मीर के लिए हम आख़िरी गोली, आख़िरी सिपाही, आख़िरी सांस तक लड़ेंगे। अब चुनाव भारत और बाक़ी दुनिया को करना है।''
गफ़ूर ने कहा, "कश्मीरियों की तीसरी पीढ़ी के डीएनए में आज़ादी का जज्बा है। इसे जितना दबाएंगे वो उतना ही तेज़ होगा। जिस दिन कश्मीर से कर्फ़्यू हटा मानवाधिकार के उल्लंघन के कारण पूरे दुनिया की नज़र उस पर जाएगी।''
कश्मीर के मुद्दे पर बात करने के लिए पाकिस्तान सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ़ गफ़ूर ने बुधवार को प्रेस वार्ता का आयोजन किया।
इस प्रेस वार्ता की शुरुआत उन्होंने यह कहते हुए की कि वे कश्मीर के हालात और राष्ट्रीय सुरक्षा पर इसके असर पर बात करेंगे।
इस दौरान उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की भौगौलिक स्थिति की दुनिया और क्षेत्रीय देश अनदेखी नहीं कर सकते।
इस दौरान गफ़ूर ने कहा कि कश्मीरियों को हम यह संदेश देना चाहते हैं कि हम आपके साथ खड़े हैं। आपकी मौजूदा मुश्किलों का हमें ऐतबार है। आपको आपका हक़ मिल कर रहेगा, अब इसका वक्त आ कर रहेगा।
उन्होंने कहा, "पाकिस्तान की आज़ादी की जद्दोज़हद 1947 में नहीं, 1857 से शुरू हुई थी। कश्मीर की आज़ादी के लिए किसी भी तरह का समझौता नहीं होगा।''
गफ़ूर ने कहा कि भारत एक विशाल जनसंख्या वाला देश हैं, जहां हिटलर के अनुयायी सत्ता में हैं। विश्व समुदाय का भारत में दिलचस्पी है।
उन्होंने कहा कि चीन एक उभरती हुई विश्व शक्ति है। चीन को भी भारत के साथ कुछ समस्याएं हैं लेकिन दोनों के बीच स्थिर आर्थिक रिश्ते भी हैं। अफ़ग़ानिस्तान ने बीते कई वर्षों में युद्ध, शहादत और जानमाल के नुकसान के सिवा कुछ नहीं देखा है।
गफ़ूर ने कहा कि पाकिस्तान का ईरान के साथ अच्छा रिश्ता है लेकिन मध्य-पूर्व में जो हालात हैं उसकी वजह से ईरान कुछ समस्याओं का सामना कर रहा है। लेकिन क्षेत्रीय शांति में ईरान की बहुत बड़ी भूमिका है।
उन्होंने कहा कि भारत में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) और नाज़ी विचारधारा सत्ता में है। उनकी वजह से मुसलमान और दलितों समेत अल्पसंख्यकों की सुरक्षा वहां ख़तरे में हैं। भारत में अभी ऐसे हालात हैं कि वहां धार्मिक और सामाजिक स्वतंत्रता नहीं है।
गफ़ूर ने कहा कि एक ओर भारत के कब्जे वाली कश्मीर में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फासीवादी सरकार ने नेहरू के कदमों को उखाड़ दिया है।
उन्होंने कहा कि वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान के सशस्त्र बल देश में शांति बहाली और क्षेत्रीय शांति में अपनी भूमिका निभा रहा है।
गफ़ूर ने कहा कि कश्मीर में मौजूदा स्थिति के बावजूद हमने देश में हालात को काबू में रखा है।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने पद संभालने के तुंरत बाद दिए अपने पहले भाषण में भारत को बातचीत का न्योता दिया था। इसके जवाब में उन्होंने दो लड़ाकू विमान भेजे, जिसका हमने माकूल जवाब दिया।
गफ़ूर ने कहा कि परमाणु संपन्न देश के पास युद्ध कोई रास्ता नहीं है।
उन्होंने कहा कि भारत ने परोक्ष रूप से पाकिस्तान पर हमला करना जारी रखा है जिसका एक उदाहरण भारतीय जासूस कुलभूषण जाधव था।
गफ़ूर ने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में सुलह प्रक्रिया में हम एक भूमिका अदा कर रहे हैं। अगर अफ़ग़ानिस्तान में शांति बहाल हो जाती है तो पश्चिमी सीमा पर तैनात हमारे सैनिकों को धीरे धीरे हटा लिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि भारत यह सोच रहा है कि अगर पश्चिमी सीमा से पाकिस्तान की सेना हट गई तो इससे उन्हें ख़तरा होगा। इसलिए वो शायद यह सोच रहा है कि वो कुछ ऐसा काम कर दे कि जिसका पाकिस्तान भरपूर जवाब नहीं दे सके।
उन्होंने कहा कि भारत यह सोचता है कि वो हमारे ख़िलाफ़ कार्रवाई करके हमें कमज़ोर कर देगा। हम भारत को बताना चाहते हैं कि लड़ाइयां केवल हथियारों और अर्थव्यवस्था से नहीं बल्कि देशभक्ति और सिपाही की काबिलियत पर लड़ी जाती हैं।
गफ़ूर ने भारत को चेताते हुए कहा कि 27 फ़रवरी आपको याद रहनी चाहिए और हमारी सेना तैयार बैठी है।
उन्होंने कहा कि 5 अगस्त को मोदी सरकार ने कश्मीर में हालात और ख़राब कर दिए। 72 साल से अंतरराष्ट्रीय ताकत़ों ने इसको इतनी तवज्जो नहीं दी जितनी इसे मिलनी चाहिए थीं। अब इस पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को ध्यान देना ही पड़ेगा। अब यह मसला पाकिस्तान और हिंदुस्तान के बीच एक ऐसा मसला बन गया है जिसका हल होना बेहद ज़रूरी है।
उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 को हटा कर भारत सरकार कश्मीर की मौजूदा स्थिति में इस तरह बदलाव करना चाहती है जिससे वहां कश्मीरियों का रहना मुश्किल हो जाए।
उन्होंने कहा कि बीते एक महीने से अधिकृत कश्मीर के हर घर के बाहर बंदूक लिए भारतीय सैनिक खड़े हैं और वहां स्कूल, अस्पताल, दफ़्तर सब बंद हैं। वहां ज़िंदगी रुकी हुई है।
उन्होंने कहा कि वहां के नेताओं को नज़रबंद रखा गया है, विपक्ष के नेताओं को भी वहां नहीं जाने दिया गया।
उन्होंने कहा कि दोनों देश परमाणु हथियार संपन्न हैं इसलिए यहां युद्ध नहीं हो सकता है। कश्मीर पर भारत की इस कार्रवाई के बाद से पाकिस्तान में कूटनीति, अर्थव्यवस्था, सूचना, इंटेलिजेंस, क़ानून, वित्त सभी मोर्चों पर एक साथ काम चल रहे हैं।
उन्होंने कहा कि हम कश्मीर के मसले को संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा परिषद में भी ले कर गए जहां 50 साल बाद इस मुद्दे पर चर्चा हुई।
उन्होंने कहा कि हमारे विदेश मंत्री ने 36 देशों के विदेश मंत्रियों से इस मुद्दे पर बात की और उसका नतीज़ा यह रहा कि अब दुनिया इस मसले पर बात कर रही है।
उन्होंने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने मध्यस्थता से इंकार किया है लेकिन वो ट्रंप से किस मसले पर बात कर रहे हैं?
अंत में उन्होंने कहा कि कश्मीर के लिए न चाह कर भी युद्ध करना पाकिस्तान की मजबूरी होगी।
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