इराक के कुर्द क्षेत्र में आज़ादी के लिए हुए जनमत संग्रह में ऐतिहासिक मतदान हुए हैं।
वोटों की गिनती जारी है और कुर्दिस्तान की आज़ादी के लिए 'हां' के पक्ष में मिलने वाले वोटों के बाद बड़ी जीत की उम्मीद जताई जा रही है।
कुर्दों का कहना है कि ये मतदान उन्हें अलग होने के लिए बातचीत करने का जनादेश देगा, लेकिन इराकी प्रधानमंत्री हैदर अल अबादी ने इसे असंवैधानिक करार दिया।
इराक के पड़ोसी देश तुर्की और ईरान ने अपने देशों में कुर्द अल्पसंख्यकों के बीच अशांति फैलने की आशंका को देखते हुए सीमाएं बंद करने और तेल के निर्यात को रोकने की चेतावनी दी है।
अमरीका ने भी इस जनमत संग्रह को बेहद निराशाजनक बताया है।
अमरीका ने कहा, ''हमारा मानना है कि इस कदम से कुर्द क्षेत्र और वहां रहने वाले लोगों के बीच अस्थिरता और कठिनाइयां पैदा होंगी।''
तीन राज्यों समेत कुर्द सेनाओं के अधिकार वाले क्षेत्रों में भी जनमत संग्रह के दौरान शांति रही। हालांकि इन क्षेत्रों पर इराक़ अपना दावा करता है।
चुनाव आयोग के मुताबिक, जनमत संग्रह में 72 फ़ीसदी लोगों ने हिस्सा लिया।
हालांकि कुर्दिश वेबसाइट RUDAW के मुताबिक, 90 फ़ीसदी लोगों ने आज़ादी के पक्ष में वोट डाला।
कुर्दिस्तान क्षेत्र की राजधानी इर्बिल और विवादित शहर किरकुक में जनमत संग्रह के बाद जश्न के नज़ारे देखने को मिले।
इन जगहों पर अशांति फैलने के डर से सोमवार रात को कर्फ्यू लगाया गया था।
33 साल के दियार अबुबक्र ने समाचार एजेंसी एएफ़पी को बताया, ''आज हमारी आज़ादी का दिन है। इसी के चलते मैंने अपनी पारंपरिक पोशाक पहनी है, इसे मैंने ख़ासतौर पर इसी मौक़े के लिए ख़रीदा था।''
इराक़ की कुल आबादी में कुर्दों की हिस्सेदारी 15 से 20 फीसदी के बीच है।
साल 1991 में स्वायत्तता हासिल करने के पहले उन्हें दशकों तक दमन का सामना करना पड़ा।
कुर्दों के नियंत्रण वाले क्षेत्रों में सोमवार को 18 साल से ज़्यादा उम्र वाले क़रीब 52 लाख कुर्द और गैर कुर्द लोगों के लिए मतदान शुरू हुआ।
हालांकि गैर कुर्द आबादी वाले क्षेत्रों में कुर्दों और इराकी सरकार के बीच कुछ बातों को लेकर विरोध भी है।
विवादित शहर किरकुक में स्थानीय अरब और तुर्क समुदाय ने जनमत संग्रह का बहिष्कार किया।
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