इराक़ के कुर्दिस्तान क्षेत्र की आज़ादी के लिए जनमत संग्रह में क्षेत्र के तीन राज्यों के लोगों ने मतदान किया है।
इराक़ की सरकार और कुर्द लोग जिस विवादित क्षेत्र पर दावा करते हैं, वहां भी वोटिंग हुई। इराक़ के प्रधानमंत्री हैदर अल अबादी ने जनमत संग्रह को 'अंसवैधानिक' बताते हुए इसकी निंदा की है।
इराक़ के कुछ पड़ोसी देशों ने भी जनमत संग्रह की आलोचना की है।
कुर्द नेताओं का कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि जनमत संग्रह में 'हां' के पक्ष में नतीजे आएंगे और इससे उन्हें अलगाव के लिए लंबी बातचीत का जनादेश मिलेगा।
मध्य पूर्व में कुर्द चौथा सबसे बड़ा जातीय समूह है, लेकिन वो कभी कोई स्थायी राष्ट्र हासिल नहीं कर सके हैं।
इराक़ की कुल आबादी में कुर्दों की हिस्सेदारी 15 से 20 फीसदी के बीच है। साल 1991 में स्वायत्तता हासिल करने के पहले उन्हें दशकों तक दमन का सामना करना पड़ा।
कुर्दों के नियंत्रण वाले क्षेत्रों में सोमवार को 18 से अधिक उम्र वाले करीब 52 लाख कुर्द और गैर कुर्द लोगों के लिए मतदान शुरु हुआ। कुर्दिस्तान की रुडॉ समाचार एजेंसी के मुताबिक, मतदान बंद होने के करीब एक घंटे पहले 76 फीसदी लोग वोट डाल चुके थे।
इरबिल में वोटिंग के लिए लाइन में लगे एक व्यक्ति ने समाचार एजेंसी रायटर्स से कहा, ''हम सौ सालों से इस दिन का इंतज़ार कर रहे थे। ईश्वर की मदद से हम एक राज्य चाहते हैं। आज सभी कुर्दों के लिए जश्न का दिन है।''
हालांकि इसकी उम्मीद नहीं है कि सभी कुर्दों ने 'हां' के पक्ष में मतदान किया हो।
द चेंज मूवमेंट (गोरान) और कुर्दिस्तान इस्लामिक ग्रुप पार्टीज़ ने कहा कि वो आज़ादी का समर्थन करते हैं, लेकिन उन्हें जनमत संग्रह आयोजित करने के समय पर आपत्ति है।
अलगाव के आर्थिक और राजनीतिक जोखिमों की वजह से व्यापारी शसवार अब्दुलवाहिद क़ादिर ने 'नोफॉरनाऊ' अभियान चलाया।
विवादित शहर किरकुक में स्थानीय अरब और तुर्क समुदाय ने बहिष्कार का ऐलान किया। सोमवार रात मतदान ख़त्म होने के बाद अशांति की आशंका में गैर कुर्द ज़िलों में कर्फ्यू लगा दिया गया।
इराक़ के प्रधानमंत्री हैदर अल अबादी ने रविवार को चेतावनी दी थी कि जनमत संग्रह 'इराक की शांति और इराक के लोगों के सहअस्तित्व को जोखिम में डालेगा और ये क्षेत्र के लिए ख़तरा है।''
उन्होंने कहा कि वो 'देश की एकता और सभी इराकियों को सुरक्षित रखने के लिए कदम उठाएंगे।'
अबादी सरकार ने कहा है कि कुर्दिस्तान क्षेत्र के अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे और सीमा पार करने वाली चौकियां उनके नियंत्रण में आनी चाहिए। अबादी सरकार ने सभी देशों से कहा है कि वो 'तेल और सीमा के मुद्दों पर सिर्फ उनके साथ संपर्क करें।'
तुर्की और ईरान जैसे पड़ोसी देशों ने भी जनमत संग्रह पर जोरदार आपत्ति जाहिर की। उन्हें आशंका है कि इससे उनके देश के कुर्द अल्पसंख्यकों के बीच भी अलगाव की भावना पैदा हो सकती है।
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