वायरस में आ रहा म्यूटेशन क्या इसे और ख़तरनाक बना रहा है? दुनियाभर में जिस कोरोना वायरस ने इस वक्त तबाही मचा रखी है, लेकिन ये वो कोरानावायरस नहीं है जो पहली बार चीन से निकला था।
आधिकारिक तौर पर Sars-CoV-2 के नाम से जाना जाने वाला ये वायरस, जिससे दुनियाभर के लोग संक्रमित हो रहे हैं, म्यूटेट हो रहा है।
म्यूटेट होने का मतलब है वायरस के जेनेटिक मटेरियल में बदलाव होना। वैज्ञानिकों ने इस वायरस में हज़ारों म्यूटेशन देखे हैं। हालांकि सिर्फ एक म्यूटेशन ऐसा है जिससे इस वायरस के व्यवहार के बदलाव के संकेत मिले हैं।
तो क्या ये म्यूटेशन वायरस को और ज़्यादा ख़तरनाक और जानलेवा बना सकता है? क्या जिन वैक्सीन से हम उम्मीद लगाए बैठे हैं, उनकी सफलता को भी इससे ख़तरा है?
वैज्ञानिकों ने D614G नाम का म्यूटेशन देखा है जो वायरस की 'स्पाइक' में मौजूद होता है और जिसकी मदद से वायरस हमारी कोशिकाओं में घुस जाता हैं।
चीन के शहर वुहान में फैलने के बाद ये अनुमान है कि वायरस के इस म्यूटेशन को इटली में पाया गया था। यही म्यूटेशन अब दुनिया के 97 प्रतिशत सैंपल में पाया जा रहा है।
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