हेग की अंतरराष्ट्रीय अदालत ने पाकिस्तान की जेल में बंद भारत के कुलभूषण जाधव की मौत की सज़ा पर रोक लगा दी है।
अदालत ने कहा कि जब तक उनके मामले में अंतिम फैसला नहीं आ जाता उन्हें फांसी नहीं दी जा सकती।
कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने जासूसी के आरोप में फांसी की सज़ा सुनाई है। जहाँ पाकिस्तान का आरोप है कि वो जासूस हैं, वहीं भारत कहता है कि जाधव का ईरान से अपहरण किया गया।
भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव लगभग एक साल से पाकिस्तान में कैद हैं।
जाधव की फ़ांसी टालने को लेकर भारत ने इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस यानी आईसीजे का दरवाज़ा खटखटाया था।
आईसीजे के प्रेसिडेंट ने कहा कि कुलभूषण जाधव की फांसी पर सुनवाई ख़त्म होने तक रोक लगाने का फ़ैसला सभी जजों का सर्वसम्मति से लिया गया फ़ैसला है।
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में 11 जजों की बेंच ने कुलभूषण जाधव की गिरफ्तारी के बारे में कहा कि इस गिरफ्तारी की स्थिति को लेकर अभी भी विवाद है।
आईसीजे ने कहा कि फांसी की सज़ा से माफ़ी के लिए पाकिस्तान में जो 150 दिनों का समय दिया गया है वो अगस्त में ख़त्म हो रहा है।
कोर्ट का फ़ैसला सुनाते हुए जज रॉनी एब्राहेम ने कहा, ''इससे पता चलता है कि अगस्त के बाद कभी भी उन्हें फांसी दी जा सकती है और ये मामला अर्जेंट है।''
अदालत ने पाकिस्तान की उस आपत्ति को खारिज कर दिया कि ये मामला उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। हालाँकि अदालत ने ये भी कहा कि इस पर मतभेद हैं।
अदालत ने भारत और पाकिस्तान के बीच संधियों का हवाला दिया और कहा कि 1977 से ही भारत और पाकिस्तान वियना संधि का हिस्सा हैं।
जाधव के मामले में अदालत ने कहा कि जाधव को काउंसलर मदद मिलनी चाहिए थी।
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