कांग्रेस को चुनाव हरवाने के लिए कैम्ब्रिज एनालिटिका को भारतीय अरबपति ने पैसे दिए : क्रिस्टोफर विली

 28 Mar 2018 ( आई बी टी एन न्यूज़ ब्यूरो )
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पॉलिटिकल कंसल्टेंसी कंपनी कैम्ब्रिज एनालिटिका के एक पूर्व कर्मचारी क्रिस्टोफर विली ने दावा किया है कि भारत के अरबपति बिजनेस टायकून ने कांग्रेस को चुनाव हरवाने के लिए कैम्ब्रिज एनालिटिका को पैसे दिये थे। इससे पहले उन्होंने यह भी कहा था कि इस कंपनी ने भारत में बड़े पैमाने पर काम किया है और उन्हें लगता है कि कांग्रेस ने इस कंपनी की सेवाएं ली थी।

व्हिसल ब्‍लोअर क्रिस्टोफर विली 27 मार्च को फेसबुक डेटा चोरी मामले में ब्रिटेन की एक संसदीय समिति के समक्ष अपनी गवाही दे रहे थे। बता दें कि फेसबुक डेटा चोरी के तार ब्रिटेन की इस विवादित कंपनी कैम्ब्रिज एनालिटिका से जुड़े होने की खबरें मिली हैं। साथ ही इस तरह के आरोप लग रहे हैं कि इन घटनाक्रमों का संबंध भारत में चुनावों को कथित तौर पर प्रभावित किये जाने से है।

अपनी गवाही के दौरान विली ने कहा कि उनके पूर्ववर्ती एस सी एल समूह में चुनावों के प्रमुख डान मुरेसन भी भारत में काम कर रहे थे, जिनकी केन्या में रहस्यमयी परिस्थितियों में मौत हो गयी। विली ने दावा किया कि उन्हें ऐसी कहानियां सुनने को मिली हैं कि मुरेसन को केन्या होटल में शायद जहर दिया गया था। डान मुरसेन रोमानिया के नागरिक थे।

पर्सनलडेटा डॉट आई ओ के सह- संस्थापक पॉल ओलिवियर देहया ने भी समिति के समक्ष अपनी गवाही में कहा कि उन्होंने ऐसी खबरें सुनी थीं कि मुरेसन को एक भारतीय अरबपति ने रुपये दिये थे, जो चाहते थे कि कांग्रेस चुनाव हार जाए। क्रिस्टोफर विली और ओलिवियर देहया हाउस ऑफ कामंस की डिजिटल, सांस्कृतिक, मीडिया और खेल समिति के समक्ष अपनी गवाही दे रहे थे।

ओलिवियर देहया ने कहा कि इसका मतलब यह है कि डान मुरेसन जिस पार्टी के लिए काम करने का दावा कर रहे थे, उसके अलावा उन्हें एक दूसरी पार्टी से भी पैसा मिला था। उन्होंने कहा कि अब भारत और केन्या के पत्रकारों को साथ आना चाहिए और इस मामले की जांच करनी चाहिए।

बता दें कि इस मामले में भारत के दो प्रमुख दलों कांग्रेस और बीजेपी के बीच तलवारें खिची हुई है। कांग्रेस ने मंगलवार को सरकार पर आरोप लगाया कि वह महत्वपूर्ण मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए कैम्ब्रिज एनालिटिका के मुद्दे को तूल दे रही है। पार्टी ने कानून मंत्री से सवाल किया कि यदि उनके पास साक्ष्य हैं तो फेसबुक, कैम्ब्रिज एनालिटिका तथा उसकी सहयोगी ओबीआई के खिलाफ प्राथमिकी क्यों दर्ज नहीं करवा रहे हैं?

 

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