संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) द्वारा शुक्रवार को जारी ताजा मानव विकास सूचकांक में भारत 189 देशों में एक स्थान ऊपर चढ़कर 130वें स्थान पर पहुंच गया है।
दक्षिण एशिया में भारत का मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) मूल्य 0.640 है। यह दक्षिण एशिया के औसत 0.638 से अधिक है। इस सूची में बांग्लादेश 0.608 एचडीआई के साथ 136वें और पाकिस्तान एचडीआई 0.562 के साथ 150वें स्थान पर है। 2016 में भारत 0.624 एचडीआई के साथ 131वें स्थान पर था।
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 1990 से 2017 के बीच सकल राष्ट्रीय प्रति व्यक्ति आय में 266.6 फीसदी का इजाफा हुआ है। भारत की क्रय क्षमता के आधार पर प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय करीब 4.55 लाख रुपये पहुंच गई है। जो पिछले साल से 23,470 रुपये अधिक है।
जीवन प्रत्याशा के मामले में भारत की स्थिति बेहतर हुई है। 1990 से 2017 के बीच भारत में जन्म के वक्त जीवन प्रत्याशा में करीब 11 सालों की बढ़ोत्तरी हुई है। भारत में जीवन प्रत्याशा 68.8 साल है, जबकि 2016 में यह 68.6 साल और 1990 में 57.9 साल थी।
भारत में महिलाओं की जीवन प्रत्याशा पुरुषों से अधिक है। महिलाओं की जीवन प्रत्याशा जहां 70.4 वर्ष है, वहीं पुरुषों की जीवन प्रत्याशा 67.3 वर्ष है। हालांकि भारत में जीवन प्रत्याशा दक्षिण एशिया के औसत से कम है।
भारत में स्कूल जाने की उम्र वाले बच्चों के स्कूलों में और ज्यादा वक्त रहने की संभावना बढ़ी है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में बच्चों के स्कूल में रहने की संभावित समयावधि 1990 के मुकाबले 4.7 साल ज्यादा है। इस बार भारत में बच्चों के स्कूल में समय बिताने की अवधि 12.3 वर्ष है। 1990 में यह 7.6 वर्ष थी।
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में नीति के स्तर पर काफी प्रगति होने के बाद भी महिलाएं राजनीतिक, आर्थिक तथा सामाजिक रूप से पुरुषों की तुलना में कम सशक्त हैं। संसदीय सीटों पर 11.6 फीसदी महिलाएं हैं। माध्यमिक शिक्षा तक महज 39 फीसदी महिलाएं ही पहुंच पाती हैं। जबकि 64 फीसदी पुरुष माध्यमिक शिक्षा हासिल करते हैं। श्रम बाजार में भी महिलाओं की भागीदारी 27.2 फीसदी है, जबकि इस क्षेत्र में 78.8 फीसदी पुरुष हैं। लैंगिक असमानता सूचकांक के अंतर्गत 160 देशों में भारत का स्थान 127वां रहा है।
विकास की राह में असमानता भारत के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। भारत के एचडीआई मूल्य को असमानता की वजह से 26.8 फीसदी का नुकसान होता है। दक्षिण एशियाई देशों में यह सबसे अधिक नुकसान है। केंद्र सरकार और अनेक राज्य सरकारों ने विभिन्न सामाजिक संरक्षण उपायों के जरिये यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया है कि आर्थिक विकास का लाभ व्यापक रूप से साझा किया जाए और कतार में खड़े अंतिम व्यक्ति तक पहले पहुंचे।
मानव विकास सूचकांक यानी ह्यूमन डिवेलपमेंट इंडेक्स (एचडीआई) जीवन प्रत्याशा, शिक्षा और आय सूचकांकों का एक संयुक्त सांख्यिकीय सूचकांक है। इसे अर्थशास्त्री महबूब-उल-हक ने तैयार किया था। पहला मानव विकास सूचकांक 1990 में जारी किया गया था। तब से हर साल संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा इसे प्रकाशित किया जाता है।
रैकिंग में नॉर्वे, स्विटजरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, आयरलैंड और जर्मनी टॉप पर हैं, जबकि नाइजर, सेन्ट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक, साउथ सूडान, चाड और बुरुंडी काफी कम एचडीआई वैल्यू के साथ निचले पायदानों पर हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक स्तर पर एचडीआई सूचकांक में सुधार हुआ है। जिन 189 देशों के एचडीआई की गणना की गई, उनमें से 59 देश 'वेरी हाई ह्यूमन डिवेलपमेंट' की श्रेणी में हैं, जबकि 38 देश लो एचडीआई श्रेणी में हैं। सिर्फ 8 साल पहले 2010 में 46 देश ही उच्च एचडीआई ग्रुप में थे, जबकि 49 देश निम्न एचडीआई ग्रुप में थे।
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