संयुक्त राष्ट्र महासभा में 'राइट टू रिप्लाई' के तहत दिए गए भारत के जवाब पर पाकिस्तान ने भी अपना जवाब दिया है और आरोप लगाया है कि भारत 'कश्मीर मुद्दे से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहा है'।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिए भाषण पर भारत ने 'राइट टू रिप्लाई' के तहत जवाब दिया था और उनकी कही 'हर बात को झूठ' बताया था।
पाकिस्तान के प्रतिनिधि ज़ुल्क़रनैन चीना ने रविवार को इसी पर अपने देश की ओर से जवाब दिया और कहा कि प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने दुनिया के सामने 'भारत के वास्तविक क्रूर चेहरे को उजागर कर दिया'।
उन्होंने कश्मीर का ज़िक्र करते हुए कहा कि भारत ने अपने जवाब में 'ज़मीनी हक़ीक़त से ध्यान हटाने की कोशिश की'।
उन्होंने आरोप लगाया, "भारतीय प्रतिनिधि ने जानबूझकर कश्मीर के लॉकडाउन का ज़िक्र नहीं किया। न ही उन्होंने मासूम कश्मीरियों की तकलीफ़ का ज़िक्र किया जो बीते 53 दिनों से खाने और ज़रूरी सामान की आपूर्ति के अभाव में जीने को मजबूर हैं।''
उन्होंने सवाल किया, "मैं भारतीय प्रतिनिधि से पूछता हूं कि भारत सरकार कश्मीरी लोगों को बाहर आकर अपनी भावनाएं व्यक्त करने की इजाज़त क्यों नहीं दे रही है? भारत इतना भयभीत क्यों है? पाकिस्तान के पास छुपाने के लिए कुछ नहीं है। क्या भारत के पास इतना नैतिक साहस है कि वो क़ब्ज़े वाले जम्मू कश्मीर को लेकर संयुक्त राष्ट्र ह्यूमन राइट्स हाई कमिश्नर की रिपोर्ट के निष्कर्षों पर जवाब दे?"
पाकिस्तान के प्रतिनिधि ने आरोप लगाया कि भारत सरकार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एजेंडे को आगे बढ़ाने में जुटी है।
उन्होंने कहा, "बीजेपी की विचारधारा के स्रोत आरएसएस के संस्थापकों में से एक एमएस गोलवलकर ने भारत में ग़ैर हिंदुओं के बारे में कहा था कि ग़ैर हिंदुओं को या तो हिंदू संस्कृति और भाषा अपनानी होगी या वो बिना विशेषाधिकार के हिंदू राष्ट्र के अधीन हो जाएंगे। नरेंद्र मोदी एमएस गोलवलकर को गुरु कहते हैं।''
पाकिस्तानी प्रतिनिधि ने आरोप लगाया कि जिन्होंने 1948 में 'महात्मा गांधी की हत्या' की वो आज उनके धर्मनिरपेक्ष भारत के विचारों की हत्या कर रहे हैं। लेकिन, भारत न तो अपनी ग़लत नीतियों को देखना चाहता है और न किसी को देखने देना चाहता है।
पाकिस्तान के प्रतिनिधि ने हिंदुत्ववादी विचारधारा, गौरक्षा के नाम पर होने वाली हत्या और 2002 के गुजरात दंगों का भी ज़िक्र किया।
इससे पहले शनिवार को भारत की ओर से विदेश मंत्रालय की प्रथम सचिव विदिशा मैत्रा ने भारत का पक्ष रखा था।
उन्होंने इमरान ख़ान के भाषण को भड़काऊ और उनकी कही हर बात को झूठ बताया था।
साथ ही पाकिस्तान से आतंकवाद के मसले पर पांच सवालों का जवाब देने के लिए कहा था।
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