केरल की पी विजयन सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि राज्य पुलिस ने एक हिंदू महिला के इस्लाम धर्म स्वीकार करने और फिर एक मुस्लिम व्यक्ति से उसकी शादी के मामले की गहन जांच की है और ऐसा कुछ नहीं पाया कि मामले की छानबीन राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंपी जा सके।
सुप्रीम कोर्ट ने 16 अगस्त को एनआईए को निर्देश दिया था कि वह इस बात की जांच करे कि इस मामले में कथित 'लव जिहाद' का कोई व्यापक पहलू तो शामिल नहीं है।
इस मामले में हिंदू महिला हादिया ने अपना धर्म परिवर्तन कर इस्लाम स्वीकार कर लिया था और बाद में केरल के एक मुस्लिम युवक शफीन जहां से शादी कर ली थी।
केरल सरकार ने कहा कि यूं तो उसने मामले की जांच एनआईए को सौंपने के अदालत के निर्देश का पालन किया, लेकिन पुलिस को अब तक किसी ऐसे अपराध का पता नहीं चला है जिससे वैधानिक तौर पर मामले को केंद्रीय एजेंसी के हवाले किया जा सके।
पिछले दिसंबर में महिला से शादी करने वाले और उच्च न्यायालय की ओर से अपनी शादी रद्द करने के फैसले को चुनौती देने वाले शफीन जहां ने हाल में एक अंतरिम याचिका दाखिल कर उस आदेश को वापस लेने की मांग की जिसमें मामले की जांच एनआईए को सौंपने की बात कही गई थी।
उसने दावा किया था कि महिला ने अपनी शादी से कई महीने पहले धर्मांतरण किया था और शादी एक वैवाहिक वेबसाइट के जरिए तय हुई थी।
अतिरिक्त हलफनामे में राज्य सरकार ने कहा कि पुलिस जांच करने में सक्षम है और यदि कोई अनुसूचित अपराध सामने आया होता तो उसने केंद्र को इसकी जानकारी दी होती।
हलफनामे में कहा गया, ''केरल पुलिस की अपराध शाखा ने प्रभावी और ईमानदार तरीके से जांच की थी। केरल पुलिस की ओर से अब तक की गई जांच में किसी अनुसूचित अपराध के होने की घटना सामने नहीं आई है कि इसे एनआईए कानून 2008 की धारा छह के तहत केंद्र सरकार को सूचित किया जाए।''
राज्य ने अपने हलफनामे में कहा, ''केरल पुलिस ने प्रभावी तरीके से उपरोक्त अपराध की गहन जांच की है।''
शफीन जहां ने सुप्रीम कोर्ट का रुख तब किया, जब केरल उच्च न्यायालय ने उसकी शादी रद्द करते हुए कहा कि यह देश की महिलाओं की आजादी का अपमान है।
इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने तीन अक्तूबर को कहा कि वह इस सवाल पर गौर करेगा कि शफीन जहां और हिंदू महिला की शादी को निरस्त करने के लिए क्या उच्च न्यायालय रिट क्षेत्राधिकार के तहत अपनी शक्ति का इस्तेमाल कर सकता है।
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