फर्जी डिग्री मामला : अंकिव ने डूसू अध्यक्ष पद छोड़ा, एनएसयूआई ने दोबारा चुनाव की मांग की

 15 Nov 2018 ( न्यूज़ ब्यूरो )
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फर्जी डिग्री मामले में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की सलाह पर दिल्ली यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन (डूसू) अध्यक्ष अंकिव बसोया ने गुरुवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। अंकिव के इस्तीफे के बाद एनएसयूआई ने फिर से चुनाव कराने की मांग की है।

जानकारी के अनुसार, फर्जी डिग्री मामले में अंकिव बसोया की मुश्किलें बढ़ गई हैं। एबीवीपी ने अंकिव बसोया को आज ही डूसू अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के लिए कहा था। एबीवीपी ने कहा कि उन्होंने जांच पूरी होने तक अंकिव को संगठन की सभी जिम्मेदारियों से निलंबित भी कर दिया है।

बता दें कि अंकिव बसोया ने सितंबर, 2018 में डूसू अध्यक्ष पद का चुनाव जीता था। चुनाव के बाद एनएसयूआई ने अंकिव की तिरूवल्लुवर यूनिवर्सिटी से ली गई स्नातक की डिग्री की प्रामाणिकता पर सवाल उठाते हुए डीयू से उसे तुरंत अध्यक्ष पद से हटाने की मांग की थी। डूसू चुनाव में तीन पदों पर एबीवीपी, जबकि एक पद पर एनएसयूआई ने चुनाव जीता था।

एबीवीपी की राष्ट्रीय मीडिया संयोजक मोनिका चौधरी ने कहा कि अंकिव के डूसू अध्यक्ष चुने जाने के बाद से ही यह मामला चर्चा में था। उस समय भी एबीवीपी ने स्पष्ट कर दिया था कि दिल्ली विश्वविद्यालय के पास दस्तावेजों की प्रामाणिकता जांचने के सभी अधिकार हैं और सभी अफवाहों को रोकने के लिए उसे इसकी जांच करनी चाहिए। एबीवीपी ने हमेशा छात्रों के कल्याण में काम किया है और वह किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी का समर्थन नहीं करती है।

छात्रों के संघर्ष, भावनाओं और अपेक्षाओं को ध्यान में रखते हुए और दिल्ली यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन की वास्तविकता को बनाए रखने के लिए ही एबीवीपी ने अंकिव से अपने पद से इस्तीफा देने के लिए कहा है और डीयू द्वारा सत्यापन प्रक्रिया पूरी किए जाने तक उन्हें संगठन की सभी जिम्मेदारियों से भी हटा दिया गया है।

एनएसयूआई ने एबीवीपी द्वारा अंकिव बसोया को डूसू अध्यक्ष पद छोड़ने के लिए कहने पर इसे देरी से लिया गया फैसला बताते हुए इसका स्वागत किया है। इसके साथ ही एनएसयूआई ने दोबारा से डूसू चुनाव कराने की मांग की है।

एनएसयूआई की पदाधिकारी रुचि गुप्ता ने कहा कि 20 नवंबर को आने वाले हाईकोर्ट के फैसले से पहले जिसमें अंकिव बसोया को अयोग्य घोषित किया जाता एबीवीपी द्वारा अंकिव से इस्तीफा मांगना कोई नैतिकता के आधार पर उठाया गया कदम नहीं है, बल्कि यह स्पष्ट रूप से दबाव में लिया गया एक फैसला है। यह एबीवीपी द्वारा खेदजनक बचाव का प्रयास है।

एनएसयूआई ने कहा कि दोबारा चुनाव के लिए लिंग्दोह कमेटी की गाइडलाइंस द्वारा निर्धारित 2 महीने का समय खत्म होने के बाद एबीवीपी की ओर से आज अंकिव से इस्तीफे लिए कहना स्पष्ट रूप से क्रूर और भयावह है।

 

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