उत्तराखंड की बीजेपी सरकार के दस में से चार मंत्रियों के ख़िलाफ़ आपराधिक मामले

 26 Mar 2017 ( आई बी टी एन न्यूज़ ब्यूरो )
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उत्तराखंड की बीजेपी सरकार अपने नवनिर्वाचित विधायकों पर लगे आपराधिक मामलों को वापस लेने पर विचार कर रही है।

राज्य के 70 विधायकों में से 22 पर आपराधिक मामले दर्ज हैं जिनमें से 17 बीजेपी के हैं, चार कांग्रेस के और एक निर्दलीय है।

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने एक स्थानीय अख़बार से कहा था कि कई मामले ऐसे हैं जिन पर पुनर्विचार किया जाएगा और इनमें विधायकों पर दर्ज आपराधिक मामले भी हैं।

बीजेपी का कहना है कि उसके विधायकों पर दर्ज आपराधिक मामले राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित हैं। बीजेपी प्रवक्ता और विकासनगर से विधायक मुन्ना सिंह चौहान इस बयान की पुष्टि करते हैं।

मुन्ना सिंह चौहान का कहना है कि सार्वजनिक जीवन में ग़लत मुकदमों का सामना करना ही पड़ता है और इसलिए इनकी समीक्षा की ही जानी चाहिए।

बीजेपी के 10 मंत्रियों (मुख्यमंत्री सहित) में से चार पर आपराधाकि मामले दर्ज हैं।

इनमें हरक सिंह रावत पर दो, मदन कौशिक पर दो, सुबोध उनियाल पर एक और अरविंद पांडे पर 12 मामले दर्ज हैं।

गदरपुर के विधायक और कैबिनेट मंत्री अरविंद पांडे उन विधायकों की सूची में भी सबसे ऊपर हैं जिन पर गंभीर मामले दर्ज हैं।

अरविंद पांडे पर दर्ज 12 मामलों में हत्या (आईपीसी की धारा 302) और डकैती (आईपीसी की धारा 395) के आरोप भी शामिल हैं।

पिछले साल पुलिस के घोड़े शक्तिमान की टांग तोड़ने के आरोपों से सुर्खियों में आए मसूरी के विधायक गणेश जोशी पर कुल 5 मामले दर्ज हैं।

गणेश जोशी पर स्त्री की लज्जा भंग करने के आशय से उस पर हमला या आपराधिक बल के इस्तेमाल (आईपीसी की धारा 354) के भी आरोप हैं।

गणेश जोशी अकेले नहीं हैं। सहसपुर के बीजेपी विधायक सहदेव पुंडीर भी महिला के साथ बदसलूकी करने के आरोप का सामना कर रहे हैं। पुंडीर इसके अलावा दो और केसों में असामी हैं।

अरविंद पांडे से हत्या और डकैती के मामले वापस लिए जाने के सवाल पर मुन्ना सिंह चौहान कहते हैं कि सिर्फ़ ऐसे मामले वापस लिए जाएंगे जो दुर्भावना के तहत दर्ज करवाए गए हैं।

लेकिन मसूरी के विधायक पर धारा 354 के तहत दर्ज मामले पर उनके सुर बदल जाते हैं।

मुन्ना सिंह चौहान कहते हैं कि उन पर मुकदमे (घोड़े शक्तिमान को हानि पहुंचाना समेत) तो साफ़ तौर पर दुर्भावना के तहत दर्ज करवाए गए हैं।

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय पर भी दंगा करने और सरकारी कर्मचारी के काम में बाधा डालने के मामले में आईपीसी की धारा 332, 353, 147, 148, 524, 149 के तहत एक मामला दर्ज है।

वह पूछते हैं कि क्या सरकार उन पर दर्ज मुक़दमे भी वापस लेगी? उपाध्याय कहते हैं, ''इस सरकार को आए चार दिन भी नहीं हुए और इसने अराजकता फैलानी शुरू कर दी है जो अभूतपूर्व बहुमत इन्हें मिला है ये इसका अपमान है।''

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अरविंद पांडे को विद्यालयी शिक्षा, प्रौढ़ शिक्षा, संस्कृत शिक्षा, पंचायती राज, खेल और युवा कल्याण मंत्रालय दिए हैं।

पिछले साल ही अनुसूचित जनजाति के सरकारी अधिकारी से बदसलूकी और मारपीट के आरोप में अरविंद पांडे ने जेल भी काटी थी। अब वह उनसे कहीं बड़े अधिकारियों को काम करने का सलीका सिखाएंगे।

कांग्रेस के चार विधायकों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं।

जसपुर से विधायक आदेश सिंह पर धार्मिक भावनाएं भड़काने और सरकारी कर्मचारी के काम में बाधा डालने के लिए आईपीसी की धारा 147, 332, 353, 153ए, 295ए, 268 के तहत एक मामला दर्ज है।

चकराता के विधायक प्रीतम सिंह पर दंगा करने और सरकारी कर्मचारी के काम में बाधा डालने के मामले में आईपीसी की धारा 147, 149, 332, 353, 336, 504 के तहत एक मामला दर्ज है।

केदारनाथ सीट से विधायक मनोज रावत पर दंगा करने और शांति भंग करने के मामले में आईपीसी की धारा 147, 323, 504, 506, 509 के तहत एक मामला दर्ज है।

पुरोला के विधायक राजकुमार पर उत्तराखंड रिप्रेज़ेंटेशन ऑफ़ पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट की धारा 2ए, 2बी के तहत एक मामला दर्ज है।

 

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