चीन के सरकारी अखबार ने ल‍िखा- आजादी की लड़ाई लड़े स‍िक्‍कि‍म, हम करेंगे मदद

 06 Jul 2017 ( न्यूज़ ब्यूरो )
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भारत-चीन सीमा विवाद के बीच चीन की आधिकारिक मीडिया ने सिक्किम को भारत से अलग होने और आजाद होने की सलाह दी है। इसके साथ ही चीनी मीडिया ने भूटान को भी भारतीय दबाव से बाहर निकलने के लिए उकसाया है।

चीनी सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स में कहा गया है कि अगर सिक्किम और भूटान भारत के खिलाफ आवाज उठाते हैं तो चीन उनकी मदद करेगा और दुनियाभर में अनुचित सीमा संधियों के खात्मे के लिए चीन उनकी पैरवी करेगा।

चीन का आरोप है कि नई दिल्ली ने भूटान पर दबाव बनाकर अनुचित सीमा संधि की है।

चीन की आधिकारिक मीडिया ने सिक्किम में हिंसा को उकसाने के मकसद से लिखे गए लेख में अपने नागरिकों से कहा है कि वो सिक्किम के लोगों में आजादी का आंदोलन और माहौल पैदा करे। इसके साथ ही उन्हें भारत के खिलाफ माहौल बनाने को भी कहा गया है।

ग्लोबल टाइम्स ने अपने संपादकीय में लिखा है, ''बीजिंग को सिक्किम के रुख पर पुनर्विचार करना चाहिए। हालांकि, चीन ने 2003 में सिक्किम को भारत के राज्य के रूप में मान्यता दी थी, लेकिन अब इस मामले पर अपना रुख बदल सकता है।''

अखबार ने लिखा है, सिक्किम में ऐसे लोग हैं जो अपने इतिहास को एक अलग राज्य के रूप में पसंद करते हैं, और वे इस बात के प्रति संवेदनशील हैं कि बाहरी दुनिया सिक्किम के मुद्दे को कैसे देखे। चीन में भी सिक्किम के लोगों की आवाज को मजबूती देने के लिए जनसमर्थन है। यह जनसमर्थन सिक्किम में आजादी से पहले की भूमिका और जनांदोलन खड़ा कर सकता है।''

डोकलाम पठार सामरिक दृष्टि से भारत और चीन के लिए महत्वपूर्ण है। अगर चीन यहां तक सड़क बनाने में कारगर रहता है तो वह भारत के पूर्वोत्तर हिस्से तक आसानी से अपनी पहुंच बना सकता है। यह सामरिक दृष्टि से भारत के लिए खतरनाक होगा।

बता दें कि भारत और चीन के बीच सिक्किम-भूटान-चीन सीमा पर स्थित डोकलाम पठार को लेकर विवाद चल रहा है। चीन वहां तक सड़क बनाना चाहता है, जबकि भारत उसका विरोध कर रहा है। पिछले दिनों भारत ने चीनी सैनिकों के सड़क निर्माण का विरोध किया था, तब चीनी सैनिकों ने भारत के दो बंकर तबाह कर दिए थे। उस वक्त भारतीय जवानों ने मानव दीवार बनकर चीनी मंसूबों पर पानी फेर दिया।

भूटान भी चीन के इस सड़क निर्माण का विरोध करता रहा है, जबकि चीन डोकलाम पठार को डोकलांग पठार कहकर उसे अपना इलाका कहता रहा है। चूंकि भूटान और चीन के बीच कोई राजनयिक संबंध नहीं है, इसलिए भारत इस मामले में भूटान की पैरवी करता रहा है।

 

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