चीन ने सिक्किम सेक्टर में सड़क निर्माण को वैध करार दिया और कहा कि यह निर्माण चीन के उस इलाके में किया जा रहा है जो न तो भारत का है और न ही भूटान का और किसी अन्य देश को इसमें हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है।
चीन ने इशारा किया कि भारत भूटान की ओर से सिक्किम क्षेत्र के दोंगलांग में सड़क निर्माण के प्रयासों का विरोध कर रहा है जिसका चीन के साथ कोई राजनयिक संबंध नहीं है।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ल्यू कांग ने मीडिया से कहा, ''दोंगलांग चीनी क्षेत्र में आता है। यह अविवादित है। दोंगलांग क्षेत्र प्राचीन काल से चीन का हिस्सा है भूटान का नहीं।''
एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा, ''भारत इस क्षेत्र के साथ मुद्दा उठाना चाहता है। मेरा कहना है कि यह भूटान का हिस्सा नहीं है, और न ही यह भारत का हिस्सा है। तो हमारे पास इसके लिए पूरा कानूनी आधार है। चीन की सड़क निर्माण परियोजना वैध है और उसके क्षेत्र के भीतर यह सामान गतिविधि है। किसी भी देश को इसमें हस्तक्षेप का अधिकार नहीं है।''
भारत पर निशाना साधते हुए ल्यू ने कहा कि भूटान वैश्विक मान्यता प्राप्त संप्रभु देश है।
उन्होंने कहा, ''उम्मीद है कि अन्य देश दूसरे देश की संप्रभुता को सम्मान देंगे। चीन-भूटान सीमा निरूपित नहीं है, किसी भी तीसरे पक्ष को इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए और न ही कोई गैरजिम्मेदाराना कार्य करना चाहिए और न ही बयानबाजी।''
चीन का कहना है कि भारत-चीन सीमा का सिक्किम भाग निर्धारित है इसलिए भारत को सड़क निर्माण में आपत्ति उठाने का अधिकार नही है। उन्होंने कहा कि चीन ने इसी कारण कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए सिक्किम क्षेत्र में नाथूला दर्रे को भारतीय श्रद्धालुओं के लिए खोला था।
चीनी विचारकों का मानना है कि भारत ने भूटान की ओर से सड़क निर्माण का कार्य रोका है। इससे पहले चीन ने सिक्किम में सड़क निर्माण को जायज ठहराते हुए कहा था कि 1890 में हुई चीन-ब्रिटेन संधि के अनुसार, निसंदेह वह क्षेत्र उसकी सीमा में आता है।
ल्यू कांग की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि सिक्किम का प्राचीन नाम 'झी' था। उन्होंने कहा, ''भारतीय सेना ने जिस क्षेत्र पर आपत्ति उठाई है। वह इस संधि के मुताबिक, निसंदेह चीन की सीमा की ओर स्थित है। चीन की ओर से यह बयान भारतीय सेना द्वारा सड़क निर्माण पर रोक लगाए जाने के चीनी सेना के आरोपों के एक दिन बाद आया है। चीन भारत-चीन सीमा के सिक्किम को अपना 'संप्रभु क्षेत्र' मानता है। ल्यू ने कहा कि भारत-चीन सीमा के सिक्किम प्रखंड को चीन और भारत दोनों ने मान्यता दी थी।
उन्होंने कहा, ''भारतीय नेताओं, भारत सरकार में संबंधित दस्तावेज, चीन-भारत सीमा मुद्दे के विशेष प्रतिनिधियों की बैठक ने इस बात की पुष्टि की कि दोनो पक्षों ने 1890 में चीन-ब्रिटेन संधि पर हस्ताक्षर किए थे और सिक्किम की चीन-भारत सीमा को आम सहमति के अनुसार देखने के निर्देश दिए थे।
प्रवक्ता ने कहा, ''इन संधियों और दस्तावेजों का पालन अंतरराष्ट्रीय बाध्यता है और भारतीय पक्ष इससे बच नहीं सकता।''
वहीं चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से सोमवार रात जारी एक बयान में कहा गया, ''भारतीय सीमा प्रहरियों ने भारत-चीन सीमा के सिक्किम क्षेत्र की सीमा को पार किया और चीनी क्षेत्र में घुस आए और उन्होंने दोंगलांग क्षेत्र में चीन के अग्रिम बलों की सामान्य गतिविधियों को बाधित किया जिसके बाद चीन ने रक्षात्मक कदम उठाए।''
इससे पहले कल ल्यू ने कहा था कि चीन ने भारतीय सैनिकों के सिक्किम में घुस आने का आरोप लगाते हुए तथा उन्हें तत्काल वापस बुलाने की मांग करते हुए भारत के समक्ष राजनयिक विरोध दर्ज करा दिया है।
उन्होंने यह भी कहा था कि सीमा गतिरोध के कारण चीन ने कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए नाथूला दर्रे को बंद कर दिया है।
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