भारत से सटी सीमा पर चीन ने पीएलए को क्यूटीएस-11 से किया लैस

 25 Feb 2018 ( आई बी टी एन न्यूज़ ब्यूरो )
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चीन ने भविष्य की सूचना प्रौद्योगिकी आधारित लड़ाई की तैयारी के लिए भारत से लगी सीमा पर तैनात पी एल ए की एक शाखा को अमेरिकी शैली वाली समेकित व्यक्तिगत सैनिक लड़ाकू प्रणाली से लैस किया है। मीडिया की खबरों में ऐसा कहा गया है। हाल के वर्षों में चीन की सेना युद्ध के मैदान में आई टी, डिजिटल और आर्टिफिशियल इंटेलीजेस ऐप्लिकेशंस के इस्तेमाल के लिए 'सूचना प्रौद्योगिकी आधारित युद्ध' शब्द का इस्तेमाल करने लगी है।

चाइना सेंट्रल टेलीविजन (सी सी टी वी) से संबद्ध शाखा वीहुटांग ने खबर दी है कि वेस्टर्न थियेटर कमान में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के स्पेशल आॅपरेशन फोर्सेज के स्काई वुल्फ कमांडो को उनके प्रशिक्षण में क्यू टी एस-11 सिस्टम से लैस किया गया है। वेस्टर्न थियेटर कमान भारत से लगती 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा की जिम्मेदारी संभालती है।

चीनी विशेषज्ञों के अनुसार क्यू टी एस-11 अमेरिकी सैनिकों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली प्रणाली की तरह है। चीनी सैन्य विशेषज्ञ सोंग जोंगपिंग ने सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स से कहा कि दुनिया में सबसे मजबूत व्यक्तिगत आग्नेयास्त्र बताए जाने वाला क्यू टी एस-11 न केवल आग्नेयास्त्र पर काबू पा लेता है बल्कि यह खोज एवं संवाद सुविधाओं से लैस पूर्ण डिजिटलीकृत समेकित व्यक्तिगत सैनिक लड़ाकू प्रणाली है। राइफल और 20 मिलीमीटर ग्रेनेड लांचर वाली यह प्रणाली लक्ष्य के अंदर के सैन्यकर्मियों को नष्ट करने में सक्षम है।

सोंग ने कहा कि अमेरिका और चीन की यह प्रणाली एक जैसी है, लेकिन तुलनीय नहीं है। स्पेशल आॅपरेशन फोर्स इस प्रणाली को परखने वाली पहली सैन्य इकाई है। बाद में उसे अन्य इकाइयों में ले जाया जाएगा। भारत के साथ लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा पर इस नई प्रणाली की तैनाती की सरकारी मीडिया की घोषणा से कुछ दिन पहले वहां वायुरक्षा पांत समुन्नत करने की खबर आई थी। इसे यहां सैन्य पर्यवेक्षक पी एल ए द्वारा मनोवैज्ञानिक युद्ध अख्तियार करने के रूप में देखते हैं।

ग्लोबल टाइम्स ने पहले एक विशेषज्ञ के हवाले से खबर दी थी कि एल ए सी पर जे-10 और जे-11 जैसे लड़ाकू विमानों की तैनाती का लक्ष्य भारत द्वारा नए लड़ाकू विमान की खरीद से उत्पन्न खतरे से निबटने पर लक्षित है। यह संभवत: भारत के राफेल विमानों की खरीद के संदर्भ में था। चीनी सेना ने 73 दिनों तक चले डोकलाम गतिरोध के दौरान मीडिया में जोर-शोर से अपना प्रचार अभियान चलाया था।

 

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