सीडीएस जनरल बिपिन रावत: चीन से बातचीत नाकाम हुई तो सैन्य विकल्प मौजूद

 24 Aug 2020 ( आई बी टी एन न्यूज़ ब्यूरो )
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भारत के चीफ़ ऑफ़ डिफ़ेंस स्टाफ़ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने कहा है कि चीन के साथ अगर बातचीत फ़ेल हुई, तो भारत के पास सैन्य विकल्प मौजूद है।

भारत में दिल्ली से प्रकाशित होने वाली इंग्लिश न्यूज़ पेपर हिन्दुस्तान टाइम्स में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, रावत ने स्पष्ट रूप से कहा है कि पूर्वी लद्दाख में चीनी पीपल्स लिबरेशन आर्मी द्वारा किए गए अतिक्रमण से निपटने के लिए भारत के पास एक सैन्य विकल्प मौजूद है, लेकिन इसका इस्तेमाल तभी किया जाएगा जब दोनों देशों की सेनाओं के बीच बातचीत और राजनयिक विकल्प निष्फल साबित हो जायेंगे।

जनरल रावत ने अख़बार से बातचीत में कहा कि ''वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अतिक्रमण या सीमा-उल्लंघन उस क्षेत्र की अलग-अलग समझ होने पर होता है। डिफ़ेंस सेवाओं को ज़िम्मेदारी दी जाती है कि वो एलएसी की निगरानी करें और घुसपैठ को रोकने के लिए अभियान चलाएं। किसी भी ऐसी गतिविधि को शांतिपूर्वक हल करने और घुसपैठ को रोकने के लिए सरकार के संपूर्ण दृष्टिकोण को अपनाया जाता है। लेकिन सीमा पर यथास्थिति बहाल करने में सफलता नहीं मिलती तो फ़ौज सैन्य कार्यवाही के लिए हमेशा तैयार रहती है।''

उन्होंने कहा कि भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ज़िम्मेदार सभी लोग इस उद्देश्य के साथ सभी विकल्पों की समीक्षा कर रहे हैं कि चीन की सेना लद्दाख में यथास्थिति बहाल करे।

साल 2017 में चीनी सेना के ख़िलाफ़ डोकलाम में 73 दिन के सैन्य गतिरोध के दौरान भारत के सेना प्रमुख रहे जनरल बिपिन रावत ने अख़बार से बातचीत में इस धारणा को भी ख़ारिज किया कि प्रमुख ख़ुफ़िया एजेंसियों के बीच समन्वय की कमी है।

उन्होंने कहा कि भारत के हिन्द महासागर क्षेत्र के साथ-साथ उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर एक विशाल फ्रंट-लाइन है जिसकी सभी को लगातार निगरानी की आवश्यकता है।

उनके अनुसार सूचनाओं के संग्रहण और संयोजन के लिए ज़िम्मेदार सभी एजेंसियों के बीच नियमित रूप से बातचीत होती है।

उन्होंने कहा कि मल्टी-एजेंसी सेंटर हर रोज़ बैठकें कर रहा है जिनमें लगातार लद्दाख या भारतीय ज़मीन के किसी अन्य टुकड़े की स्थिति को लेकर बातचीत होती है।

जनरल रावत ने इस इंटरव्यू में किसी भी ऑपरेशन के डिटेल्स साझा करने से इनकार किया।

इससे पहले 11 अगस्त को बिपिन रावत ने एक संसदीय समिति को बताया था कि भारतीय सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा पर लंबे वक़्त तक चीन का मुक़ाबला करने और सर्दियों के दौरान पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में तैनाती के लिए तैयार है।

उन्होंने कहा था कि दोनों पक्षों के बीच तनाव कम होने में अधिक समय लग सकता है, लेकिन हम हर स्थिति का सामना करने के लिए तैयार हैं और लद्दाख में इसके इंतजाम भी कर लिए गए हैं।

 

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