एनडीटीवी के को-फाउंडर प्रणय रॉय के घर और प्रतिष्ठानों पर छापेमारी की कार्रवाई के बाद केंद्रीय जांच एजेंसी की ओर से मंगलवार को सफाई दी गई है। सीबीआई की ओर से कहा गया कि यह बकाए (लोन) का मामला नहीं है बल्कि बैंक को नुकसान पहुंचाने का केस है।
प्रणय रॉय के ठिकानों पर सीबीआई रेड के बारे में केंद्रीय एजेंसी ने कहा कि हम प्रेस की आजादी का पूरा सम्मान करते हैं। चैनल और प्रमोटरों के खिलाफ लोन डिफाल्ट के कारण केस नहीं दर्ज किया है बल्कि मामला प्रमोटरों के 48 करोड़ रुपये के गलत लाभ से संबंधित है। प्रणय रॉय, राधिका राय, मैसर्स आरआरपीआर होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड की मिलीभगत और आपराधिक साजिश के कारण आईसीआईसीआई बैंक को नुकसान हुआ है। केस आईसीआईसीआई बैंक के एक शेयर होल्डर की शिकायत के आधार पर दर्ज की गई है।
सीबीआई ने अपने बयान में स्पष्ट किया कि रेड सिर्फ न्यूज चैनल के प्रमोटरों के ठिकानों और दफ्तरों पर की गई है। सीबीआई छापेमारी एनडीटीवी के ऑफिस, मीडिया स्टूडियो और न्यूज रूम या मीडिया ऑपरेशंस से जुड़ी जगहों पर नहीं की गई है। हम प्रेस की स्वतंत्रता का सम्मान करते हैं।
सीबीआई की ओर से कहा कि जांच-पड़ताल कानून की उचित प्रक्रिया के तहत और कोर्ट ऑफ लॉ के अधिकार क्षेत्र में की गई है। इससे पहले सोमवार को सीबीआई प्रवक्ता आर.के.गौड़ ने बताया था कि दिल्ली और देहरादून सहित चार स्थानों पर तलाशी की गई।
सीबीआई की ओर से की गई छापेमारी को लेकर एनडीटीवी ने बयान जारी किया था। चैनल ने कहा कि सीबीआई पुराने आरोपों के जरिए एनडीटीवी और इसके प्रमोटर्स को केवल परेशान कर रही है। एनडीटीवी और उसके प्रमोटर विभिन्न एजेंसियों की ओर से की जा रही इस बदले की कार्रवाई के खिलाफ लगातार लड़ते रहेंगे।
इसमें कहा गया, हम भारत में लोकतंत्र और बोलने की स्वतंत्रता को बुरी तरह से कमजोर कर देने के इन प्रयासों के आगे घुटने नहीं टेकेंगे।
सीबीआई रेड को लेकर एडिटर्स गिल्ड ने भी गहरी चिंता जताई थी। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने एनडीटीवी के दफ्तरों और उसके प्रमोटर्स पर की गई छापेमारी पर गहरी चिंता जताते हुए कहा था कि पुलिस और अन्य एजेंसियों की मीडिया ऑफिस में एंट्री बहुत ही गंभीर मामला है।
एडिटर्स गिल्ड का मानना है कि कोई भी व्यक्ति या संस्थान कानून से ऊपर नहीं है, लेकिन मीडिया का मुंह बंद करने के प्रयास की भी निंदा करता है और सीबीआई से नियत कानूनी प्रक्रिया का अनुपालन करने तथा यह सुनिश्चित करने का आग्रह करता है कि न्यूज ऑपरेशंस के स्वतंत्र संचालन में किसी भी तरह का हस्तक्षेप न हो।
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