क्या बाबरी मस्जिद के बदले में मुस्लिम पक्ष ज़मीन लेने से इनकार भी कर सकता है?

 15 Nov 2019 ( आई बी टी एन न्यूज़ ब्यूरो )
POSTER

भारत में अयोध्या विवाद में सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को दी जाने वाली पांच एकड़ ज़मीन को लेकर चर्चा काफ़ी गरम हो रही हैं।

एक ओर सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड पर इस ज़मीन को न लेने का दबाव पड़ रहा है तो दूसरी ओर ये चर्चा भी है कि यह ज़मीन कहां मिलेगी?

इस मामले में मुस्लिम समुदायों और संगठनों के बीच असहमति के स्वर भी सुनाई पड़ रहे हैं।

सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड ने जहां फ़ैसला सुनाए जाने के तुरंत बाद इसे स्वीकार करने और आगे कहीं चुनौती न देने की घोषणा की और जिसका कई मुस्लिम धर्म गुरुओं ने भी समर्थन किया, वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को चुनौती देने की तैयारी कर रहा है।

पर्सनल लॉ बोर्ड इस विवाद में अन्य पक्षकारों की ओर से पैरोकार रहा है।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड आगामी 17 नवंबर को लखनऊ में एक बैठक करने जा रहा है जिसमें इस बात पर फ़ैसला लिया जाएगा कि इसे आगे चुनौती देनी है या फिर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर आगे कोई और क़दम उठाना है।

बोर्ड के सदस्य और वकील ज़फ़रयाब जिलानी कहते हैं, "हमारा यही कहना है कि मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट से किसी अन्य स्थान पर ज़मीन मांगी नहीं थी। हम तो विवादित स्थल पर मस्जिद की ज़मीन वापस मांग रहे थे। अगर हम लोगों ने पुनर्विचार याचिका दायर की तो उसमें यह बिंदु भी शामिल होगा।''

वहीं मुस्लिम समुदाय में इस बात की भी चर्चा है कि सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को सुप्रीम कोर्ट के इस प्रस्ताव को स्वीकार करना चाहिए या नहीं।

इस चर्चा की शुरुआत एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने की जिसका कई और लोग समर्थन कर रहे हैं।

ओवैसी ने तो साफ़तौर पर इसे ख़ैरात बताते हुए कहा, "भारत के मुसलमान इतने सक्षम हैं कि वो कि ज़मीन ख़रीद कर मस्जिद बना सकते हैं। मेरा मानना है कि सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को इस प्रस्ताव को इनकार कर देना चाहिए।''

वहीं सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के चेयरमैन ज़फ़र फ़ारूकी ओवैसी की बात को तो तवज्जो नहीं देते लेकिन कहते हैं कि इसका फ़ैसला वक़्फ़ बोर्ड की बैठक के बाद किया जाएगा।

बीबीसी से बातचीत में फ़ारूक़ी कहते हैं, "हम बोर्ड की जल्द ही बैठक बुला रहे हैं और उसमें तय करेंगे कि सुप्रीम कोर्ट की ये पेशकश स्वीकार करें या न करें। यदि बोर्ड यह ज़मीन स्वीकार करेगा तो उसके बाद ही यह तय होगा कि उस पांच एकड़ ज़मीन पर क्या बनेगा, मस्जिद या फिर कुछ और।''

"ज़मीन कहां दी जाएगी यह केंद्र और राज्य सरकार को तय करना है, इस बारे में हम किसी ख़ास स्थान पर ज़मीन देने की मांग नहीं करेंगे लेकिन सरकार चाहे तो अधिग्रहीत स्थल में ही यह ज़मीन दे सकती है।''

हालांकि मुस्लिम समुदाय में इस बात की भी चर्चा ख़ासतौर पर हो रही है कि यह पांच एकड़ ज़मीन आख़िर मिलेगी कहां क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश में यह स्पष्ट नहीं है।

दूसरी ओर, कुछ हिन्दू संगठन अभी भी इस बात पर अड़े हैं कि अयोध्या के भीतर मस्जिद बनाने के लिए ज़मीन बिल्कुल नहीं देने दी जाएगी।

एक हिन्दू संगठन के पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "चौदह कोसी के बाहर ही पांच एकड़ ज़मीन दी जा सकती है। यदि सरकार अयोध्या में जन्म भूमि के आस-पास यह ज़मीन देने की कोशिश करेगी तो हिन्दू संगठन इसके ख़िलाफ़ सड़कों पर भी उतर सकते हैं।''

"अधिग्रहीत ज़मीन वाले इलाक़े में देने का तो सवाल ही नहीं उठता है क्योंकि इससे तो भविष्य में फिर से विवाद खड़ा हो सकता है।''

लेकिन अयोध्या के कुछ मुसलमान युवकों से बातचीत में यही लगा कि वो फ़ैसले से भले ही ख़ुश न हों लेकिन यदि अधिग्रहीत परिसर के भीतर ज़मीन मिलती है तो शायद उन्हें इस फ़ैसले का अफ़सोस कुछ कम हो जाए।

अयोध्या के ही निवासी बबलू ख़ान कहते हैं, "सुप्रीम कोर्ट ने फ़ैसला दिया है, न्याय नहीं किया है। हम इसमें अब कुछ कर भी नहीं सकते हैं लेकिन यदि उसी जगह पर ज़मीन मिलती है तो मस्जिद दोबारा बनाई जा सकती है।''

मुस्लिम समुदाय के कुछ और लोगों की भी मांग है कि यह ज़मीन उसी 67 एकड़ के एरिया में मिलनी चाहिए, जिसका केंद्र सरकार ने अधिग्रहण किया था।

बताया जा रहा है कि सरकार मस्जिद बनाने के लिए अयोध्या के भीतर किसी भी जगह ज़मीन दे सकती है।

पंचकोसी या चौदह कोसी सीमा के भीतर ज़मीन देने का कुछ हिन्दू संगठन विरोध कर सकते हैं लेकिन इसमें सरकार को शायद इसलिए कोई समस्या न हो क्योंकि अब अयोध्या का दायरा भी काफ़ी बढ़ गया है।

पहले अयोध्या सिर्फ़ एक क़स्बा था लेकिन अब फ़ैज़ाबाद ज़िले का नाम ही अयोध्या हो गया है। तो क्या फ़ैज़ाबाद जिला का नाम बदलकर अयोध्या करने के पीछे यह रणनीति थी !

 

(आईबीटीएन के एंड्रॉएड ऐप के लिए यहां क्लिक करें. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं.)

इस खबर को शेयर करें

शेयरिंग के बारे में

विज्ञापन

https://www.ibtnkhabar.com/

 

https://www.ibtnkhabar.com/

अल जज़ीरा टीवी लाइव | अल जज़ीरा इंग्लिश टीवी देखें: लाइव समाचार और समसामयिक मामले


https://www.ibtnkhabar.com/

https://www.ibtnkhabar.com/

https://www.ibtnkhabar.com/

https://www.ibtnkhabar.com/

https://www.ibtnkhabar.com/

Copyright © 2025 IBTN Al News All rights reserved. Powered by IBTN Media Network & IBTN Technology. The IBTN is not responsible for the content of external sites. Read about our approach to external linking