बेरुत धमाका: लेबनान की राजधानी बेरुत में बड़ा धमाका, दर्जनों की मौत और हज़ारों ज़ख़्मी

 05 Aug 2020 ( न्यूज़ ब्यूरो )
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लेबनान की राजधानी बेरुत में एक बड़ा धमाका हुआ है।

लेबनान के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि अभी कम से कम 70 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है और क़रीब 4000 लोग ज़ख़्मी हुए हैं। लेबनान के प्रधानमंत्री हसन दिआब ने बुधवार को राष्ट्रीय शोक दिवस की घोषणा की है।

अधिकारियों का कहना है कि एक गोदाम में भारी विस्फोटक सामग्री स्टोर थी और वहीं धमाका हुआ है।

लेबनान के राष्ट्रपति माइकल इयोन ने ट्वीट कर कहा है कि यह बिल्कुल अस्वीकार्य है कि 2,750 टन विस्फोटक नाइट्रेट असुरक्षित तरीक़े से स्टोर कर रखा गया था। धमाका कैसे हुआ? इसकी जाँच अभी जारी है।

मौक़े पर मौजूद बीबीसी के पत्रकार का कहना है कि शव बिखरे हुए हैं और भारी नुक़सान हुआ है। लेबनान के प्रधानमंत्री हसन दिआब ने इसे भयावह बताया है और कहा है कि जो भी दोषी होंगे उन्हें छोड़ा नहीं जाएगा।

जिस विस्फोटक नाइट्रेट के स्टोर की बात कही जा रही है वो 2014 से ही स्टोर था। समाचार एजेंसी एएफ़पी से एक चश्मदीद ने कहा कि आसपास की सभी इमारतें ध्वस्त हो गई हैं। चारों तरफ़ शीशे और मलबे बिखरे पड़े हैं। धमाके की आवाज़ पूर्वी भूमध्यसागर में 240 किलोमीटर दूर साइप्रस तक सुनाई पड़ी।

यह धमाका 2005 में लेबनान के पूर्व प्रधानमंत्री रफ़ीक हरीरी की हत्या की जाँच और अदालती सुनवाई का फ़ैसला आने के ठीक पहले हुआ है।

धमाका शहर के तटीय इलाक़े में हुआ है। ऑनलाइन पोस्ट किए गए वीडियो में धमाके के दृश्य काफ़ी भयावह हैं। आग की लपटों के साथ धुएं के गुबार उठ रहे हैं।

यह धमाका तब हुआ है जब लेबनान आर्थिक संकट में बुरी तरह से घिरा हुआ है। लेबनान के स्वास्थ्य मंत्री हमाद हसन ने कहा है कि धमाके में कई लोग ज़ख़्मी हुए हैं और भारी नुक़सान हुआ है।

कहा जा रहा है कि अस्पतालों में बड़ी संख्या में हताहतों को पहुँचाया गया है।

अभी तक धमाके की वजह पता नहीं चल पाई है। कुछ रिपोर्ट में इसे हादसे के तौर पर भी देखा जा रहा है। लेबनान की राष्ट्रीय समाचार एजेंसी की रिपोर्ट में तटीय इलाक़े पर स्थित एक विस्फोटक केंद्र में आग लगने की बात कही गई है।

स्थानीय मीडिया में दिखाया जा रहा है कि लोग मलबे के नीचे दबे हुए हैं।  एक चश्मदीद ने कहा कि पहला धमाका बहरा कर देने वाला था।

लेबनान का इसराइल के साथ भी सरहद पर तनाव चल रहा है। इसराइल ने पिछले हफ़्ते कहा था कि उसने अपने इलाक़े में हिजबुल्लाह की घुसपैठ की कोशिश को नाकाम कर दिया।

हालांकि बीबीसी से इसराइल के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि बेरुत धमाके से इसराइल का कोई संबंध नहीं है।

लेबनान में पिछले कुछ समय से सरकार के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। लेबनान 1975-1990 के गृह युद्ध के बाद से सबसे बड़े आर्थिक संकट से जूझ रहा है और लोग सरकार के ख़िलाफ़ सड़कों पर हैं।

लेबनान स्थित भारतीय दूतावास ने इस भयावह विस्फोट की जानकारी देते हुए हेल्पलाइन जारी की है।

भारतीय दूतावास ने ट्वीट किया, ''सेंट्रल बेरुत में इस शाम दो बड़े धमाके हुए हैं। सभी को संयम बनाए रखने की सलाह दी जाती है। अगर भारतीय समुदाय के किसी भी व्यक्ति को मदद की ज़रूरत है तो हमारी हेल्पलाइन पर संपर्क कर सकते हैं।''

हादी नसरुल्लाह नाम के एक चश्मदीद ने बीबीसी से कहा-

मैंने आग की लपटें देखीं लेकिन मुझे ये नहीं पता था कि धमाका होने जा रहा है। मैं भीतर चला गया। अचानक मुझे सुनाई पड़ना बंद हो गया क्योंकि मैं घटनास्थल के बहुत क़रीब था। कुछ सेकंड तक मुझे कुछ भी सुनाई नहीं दिया। मुझे लगने लगा था कि कुछ गड़बड़ है।

तभी अचानक गाड़ियों, दुकानों और इमारतों पर शीशे टूटकर गिरने लगे।  पूरे बेरुत में अलग-अलग इलाक़ों से लोग एक दूसरे को फ़ोन कर रहे थे।  हर किसी ने धमाके की आवाज़ सुनी। हम बिल्कुल अवाक थे क्योंकि पहले कोई धमाका होता था तो कोई एक इलाक़ा ही प्रभावित होता था लेकिन यह ऐसा धमाका था जिसे बेरूत के बाहर भी महसूस किया गया।

बीबीसी अरब मामलों के विश्लेषक सेबेस्टियन अशर क्या कहते हैं?

धमाके के बाद जो तस्वीरें और वीडियो सामने आए हैं उनमें न केवल धुएं के गुब्बार हैं बल्कि कई किलोमीटर तक तबाही के मंज़र भी हैं। इस धमाके ने पहले से ही आर्थिक संकट से परेशान लेबनान को सदमे में डाल दिया है। लेबनान की अर्थव्यवस्था चौपट हो गई है और सड़कों पर सरकार के ख़िलाफ़ लोग विरोध कर रहे हैं।

धमाके के ठीक पहले सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच ऊर्जा मंत्रालय के बाहर हाथापाई हुई थी। लोग नेताओं की जवाबदेही तय करने की मांग कर रहे हैं। यहां तक कि भुखमरी की चेतावनी दी जा रही है और सांप्रदायिक टकराव बढ़ने की भी आशंका जताई जा रही है। इस धमाके ने कइयों को रफ़ीक हरीरी की मौत की भी याद दिला दी। लेबनान के लोग उम्मीद कर रहे हैं कि इस बार यह कोई महज़ हादसा हो, न कि पूर्वनियोजित साज़िश।

हरीरी मामला क्या है?

कार बम के ज़रिए 2005 में लेबनान के पूर्व प्रधानमंत्री रफ़ीक हरीरी की हत्या कर दी गई थी। संयुक्त राष्ट्र का एक ट्राइब्यूनल इस हत्या के मामले में शुक्रवार को फ़ैसला सुनाने वाला है। इसमें सभी चार संदिग्ध ईरान समर्थित हिज़बुल्लाह समूह के हैं।

हालांकि ये इस हमले में शामिल होने से इनकार करते रहे हैं। हरीरी के आवास के बाहर एक दूसरे धमाके की भी बात कही जा रही है।

चारों संदिग्ध शिया मुसलमान हैं और इनके ख़िलाफ़ अदालती सुनवाई नीदरलैंड्स में हुई है। हरीरी को जब कार बम के ज़रिए मारा गया था तो इसमें 21 अन्य लोगों की भी जान गई थी।

14 फ़रवरी 2005 को रफ़ीक हरीरी जब एक गाड़ी से जा रहे थे तभी उन्हें निशाना बनाकर एक बड़ा धमाका किया गया था। इस धमाके में उनकी मौत हो गई थी।

हरीरी लेबनान के प्रमुख सुन्नी नेता थे। हत्या से पहले वह विपक्ष के साथ आ गए थे। हरीरी ने लेबनान से सीरिया की सेना हटाने की मांग का भी समर्थन किया था, जो लेबनान में 1976 में हुए गृह युद्ध के बाद से ही मौजूद थी।

हरीरी की हत्या के बाद सीरिया समर्थक सरकार के ख़िलाफ़ हज़ारों की संख्या में लोग सड़कों पर प्रदर्शन करने उतरे थे। हरीरी की हत्या के लिए लेबनान ने ताक़तवर पड़ोसी को ज़िम्मेदार ठहराया गया था। हमले के दो सप्ताह के भीतर ही सरकार को इस्तीफ़ा देना पड़ा और कुछ वक़्त बाद सीरिया को भी अपनी फ़ौज वापस बुलानी पड़ी।

सारे सबूत इकठ्ठा करने के बाद संयुक्त राष्ट्र और लेबनान ने विस्फोट की जांच के लिए 2007 में द हेग में एक ट्राइब्यूनल का गठन किया। इस ट्राइब्यूनल ने ईरान समर्थित हिजबुल्लाह के चार संदिग्धों पर आतंकवाद, हत्या और हत्या की कोशिश के आरोप तय किए।

हमले से जुड़े एक पाँचवें शख़्स और हिजबुल्लाह के सैन्य कमांडर मुस्तफ़ा अमीन की 2016 में सीरिया में हत्या कर दी गई थी।

हिजबुल्लाह के समर्थकों ने इस ट्रायल को ख़ारिज कर दिया है। उनका कहना है कि ट्राइब्यूनल राजनीतिक रूप से तटस्थ नहीं है।

 

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