अनुच्छेद 370: यूएन महासचिव ने शिमला समझौते की याद दिलाई

 09 Aug 2019 ( आई बी टी एन न्यूज़ ब्यूरो )
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जम्मू-कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ती तल्ख़ी के दौरान संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने दोनों देशों से इस मुद्दे पर 'अधिकतम संयम' दिखाने की अपील की है।

महासचिव गुटेरेस ने इस मुद्दे के समाधान के लिए साल 1972 में हुए 'शिमला समझौते' की याद भी दिलाई है। भारत भी जम्मू-कश्मीर के मुद्दे का समाधान शिमला समझौते के तहत तलाशने की हिमायत करता रहा है।

भारत की नरेंद्र मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधानों को ख़त्म कर दिया है।

इस पर पाकिस्तान ने गहरी आपत्ति ज़ाहिर करते हुए भारत के कूटनीतिक स्तर को कम करने के अलावा दो पक्षीय व्यापार को भी निलंबित कर दिया है।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान एलान कर चुके हैं कि उनका देश इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र और सुरक्षा परिषद समेत विभिन्न मंचों पर उठाएगा। वहीं भारत ने इसे अपना आंतरिक मामला बताते हुए विरोध को ख़ारिज कर दिया है।  

इस बीच, संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रवक्ता ने उनकी ओर से एक बयान जारी किया है।

इस बयान में कहा गया है, "इस क्षेत्र में संयुक्त राष्ट्र की स्थिति का निर्धारण संयुक्त राष्ट्र के चार्टर और सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों से होता है।''

संयुक्त राष्ट्र महासचिव की ओर से जारी बयान में बताया गया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच '1972 में हुए (शिमला) समझौते' का ज़िक्र किया।

शिमला समझौते में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर को लेकर 'अंतिम स्थिति का निर्धारण संयुक्त राष्ट्र के चार्टर को ध्यान में रखते हुए शांतिपूर्ण तरीक़े से किया जाएगा।'

हालांकि, पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने कहा है कि उनका देश 'शिमला समझौते की क़ानूनी वैधता को परखेगा।'

भारत और पाकिस्तान के बीच साल 1971 के युद्ध के बाद साल 1972 में शिमला में समझौता हुआ था। उस समय इंदिरा गांधी भारत की प्रधानमंत्री थीं और पाकिस्तान के राष्ट्रपति जुल्फ़िक़ार अली भुट्टो थे।

चीन और तुर्की ने हालात पर चिंता जताई है।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने भारत की ओर से कश्मीर में लगाए गए प्रतिबंधों से जुड़ी रिपोर्टों पर चिंता ज़ाहिर की है। उनकी चिंता है कि इससे 'क्षेत्र में मानवाधिकारों की स्थिति ख़राब हो सकती है।'

संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने सभी पक्षों से कहा है कि वो ऐसे क़दम नहीं उठाएं जिससे जम्मू-कश्मीर की स्थिति (स्टेटस) पर प्रभाव पड़े।

 

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