क्या भारत में किसान आंदोलन के नेता अपनी रणनीति बदल रहे हैं?

 05 Dec 2020 ( परवेज़ अनवर, एमडी & सीईओ, आईबीटीएन ग्रुप )
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भारत में नौ दिनों से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसान अब और आक्रामक रुख़ अपना रहे हैं।

05 दिसंबर 2020 को केंद्र की मोदी सरकार के साथ होने वाली पाँचवे दौर की बैठक से पहले किसानों ने साफ कर दिया है कि अब वो अपनी माँगों से पीछे नहीं हटेंगे।

पहले जो किसान एमएसपी का क़ानूनी अधिकार मिलने पर मानने को तैयार थे, वो अब तीनों क़ानूनों को रद्द करने से कम किसी भी बात पर मानने को तैयार नहीं हैं।

कीर्ति किसान यूनियन के स्टेट वाइस प्रेसिडेंट राजिंदर सिंह कहते हैं, ''हमारी एक ही माँग है कि तीनों क़ानून पूरी तरह रद्द होने चाहिए। हम इससे कम किसी भी बात पर नहीं मानेंगे। सरकार से जो चर्चा होनी थी, हो चुकी। अब दो-टूक बात होगी। जब तक सरकार क़ानून वापस नहीं लेगी, हम यहीं डटे रहेंगे।''

पंजाब और हरियाणा की किसान यूनियनों ने 26-27 नवंबर 2020 को 'दिल्ली चलो' आंदोलन का आह्वान किया था।

पंजाब से दिल्ली की तरफ मार्च कर रहे किसानों के काफ़िले को रोकने की सरकार ने हरसंभव कोशिश की। सड़कों पर बैरिकेड लगाये, सड़कें खोद दीं, पानी की बौछारें कीं, लेकिन किसान हर बाधा को लांघते हुए दिल्ली पहुँच गए।

तब से हर दिन किसानों का आंदोलन और मज़बूत होता जा रहा है। पंजाब और हरियाणा से घर-घर से लोग यहाँ पहुँच रहे हैं। प्रदर्शनकारियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए किसान आंदोलन के नेता भी अपनी रणनीति बदल रहे हैं।

समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में एक प्रदर्शनकारी किसान ने कहा, ''सरकार बार-बार तारीख़ दे रही है, सभी संगठनों ने एकमत से फैसला लिया है कि आज बातचीत का आखिरी दिन है।''

किसानों का कहना है कि सरकार को तीनों क़ानून वापस लेने होंगे और लिखित में देना होगा कि वो एमएसपी को जारी रखेंगे।

किसान महापंचायत के अध्यक्ष रामपाल सिंह ने एक बार फिर किसानों की मांगों को दोहराया है और कहा है कि सरकार को तीनों क़ानून वापस लेने होंगे और लिखित में देना होगा कि वो एमएसपी को जारी रखा जाएगा।

आज केंद्र सरकार के साथ कृषि कानूनों पर होने वाली बैठक पर किसान संयुक्त मोर्चा के प्रधान रामपाल सिंह ने कहा, ''आज आर-पार की लड़ाई करके आएंगे, रोज-रोज बैठक नहीं होगी। आज बैठक में कोई और बात नहीं होगी, कानूनों को रद्द करने के लिए ही बात होगी।''

बैठक में हल न निकला तो संसद का घेराव करेंगे: किसान

केंद्र सरकार के नए कृषि क़ानूनों का विरोध कर रहे किसान अब भी दिल्ली-नोएडा लिंक रोड पर चिल्ली बॉर्डर पर धरना दे रहे हैं।

किसानों का कहना है कि ''अगर आज सरकार के साथ होने वाली बैठक में कोई हल नहीं निकला तो हम संसद का घेराव करेंगे।''

किसान नोएडा लिंक रोड पर गौतम बुद्ध द्वार के पास धरने पर बैठे हैं जिसके कारण उस सड़क पर यातायात रोक दिया गया है।

दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने नोएडा से दिल्ली आ रहे लोगों को सलाह दी है कि वो डीएनडी टोल रोड का इस्तेमाल करें।

दूसरी तरफ किसानों के विरोध प्रदर्शनों के कारण दिल्ली को उत्तर प्रदेश से जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर गाज़ीपुर बॉर्डर को भी यातायात के लिए बंद कर दिया गया है।

दिल्ली हरियाणा के बीच झाटिकारा बॉर्डर से केवल दो पहिया वाहनों को अनुमति दी जा रही है। वहीं टिकरी और झरोदा बॉर्डर को बंद कर दिया गया है।

बॉर्डर पर कैसे कट रही है किसानों की रातें?

किसानों ने ग़ाज़ीपुर बॉर्डर के पास मेरठ-दिल्ली हाइवे जाम कर दिया है। दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर पहले से किसानों ने रास्ता रोक रखा है। और अब हाइवे पर दिल्ली-उत्तर प्रदेश के बीच भी आवाजाही बंद हो गई है।

दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर स्थानीय लोग प्रदर्शन कर रहे किसानों की मदद कर रहे हैं। उन्होंने रात में इन किसानों को चाय पिलाई।

03 दिसंबर 2020 को किसानों और सरकार के बीच चौथे दौर की बातचीत हुई थी, जो नाकाम रही।

इस बीच कुछ चैरिटेबल संस्थाएं किसानों के बीच दवाइयां भी बांट रही हैं। इनका कहना है कि आपात स्थिति में ये दवाएं किसानों के काम आ सकती हैं।

हरियणा में किसानों के ख़िलाफ़ मामले वापिस लिए जाने की मांग

हरियाणा में जननायक जनता पार्टी के नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने 04 दिसंबर 2020 को राज्य के गृह मंत्री अनिल विज से मुलाक़ात की और उनसे गुज़ारिश की कि विरोध प्रदर्शनों को लेकर किसानों के ख़िलाफ़ जो मामले दर्ज हुए हैं उन्हें वापिस लिया जाए।

दिग्विजय चौटाला ने कहा, ''गृह मंत्री ने हमें आश्वासन दिया है कि वो इस मामले को देखेंगे और मुख्यमंत्री से चर्चा करेंगे।''

 

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