अन्नाद्रमुक संकट: मधुसूदनन और शशिकला ने एक दूसरे को बर्खास्त किया

 10 Feb 2017 ( न्यूज़ ब्यूरो )
POSTER

अन्नाद्रमुक महासचिव एक ओर सरकार बनाने के लिए विधायकों को अपने पक्ष में रखने के लिए एड़ी-चोटी का बल लगा रही हैं। वहीं दूसरी ओर पार्टी के भीतर विरोधियों पर सख्त कार्रवाई कर कड़ा संदेश देने की कोशिश कर रही हैं।

इसी कड़ी में शशिकला ने शुक्रवार को पार्टी के प्रेसीडियम चेयरमैन ई मधुसूदनन को बर्खास्त कर दिया। इसके जवाब में मधुसूदनन ने शशिकला को महासचिव पद से हटा दिया है।

शशिकला ने चेन्नई में जारी एक बयान में कहा कि मधुसूदनन को पार्टी के सिद्धांतों के खिलाफ जाने और उसकी बदनामी करने के लिए प्राथमिकता सदस्यता के साथ-साथ सभी पदों से बर्खास्त कर दिया गया है। उन्होंने पूर्व मंत्री के ए सेनगोट्टैयन को अन्नाद्रमुक के नए प्रेसिडियम चेयरमैन के पद पर नियुक्ति की भी घोषणा की।

शशिकला ने पार्टी कार्यकतार्ओं से आग्रह किया है कि वे मधूसूदनन के साथ कोई संबंध ना रखें और सेनगोट्टैयन को अपना सहयोग दें।

मधुसूदनन ने गुरुवार को पनीरसेल्वम का समर्थन करते हुए कहा था कि अन्नाद्रमुक को बचाने वाले हर शख्स को पनीरसेल्वम का साथ देना चाहिए।

मधुसूदनन ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए प्रेसीडियम चेयरमैन होने के नाते शशिकला को महासचिव पद से हटा दिया है। उन्होंने कहा कि महासचिव का चुनाव केवल पार्टी कार्यकर्ता कर सकते हैं।

उन्हें अन्नाद्रमुक का महासचिव मानने से इनकार कर दिया है। उन्होंने शुक्रवार को चुनाव आयोग को भेजे आवेदन में शशिकला को बतौर अन्नाद्रमुक महासचिव मान्यता नहीं देने की गुजारिश की है।

मधुसूदनन ने पार्टी संविधान का हवाला देते हुए कहा कि महासचिव पद के लिए जरूरी है कि व्यक्ति कम से कम पांच साल से पार्टी का प्राथमिक सदस्य हो।

अन्नाद्रमुक में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए शशिकला (चिनम्मा) ने पहले भी कड़े फैसले किए हैं। उन्होंने पनीरसेल्वम को भी पार्टी कोषाध्यक्ष से हटा दिया था। पनीरसेल्वम का साथ देने से नाराज होकर उन्होंने पार्टी के आईटी विंग के सचिव रामचंद्रण की भी छुट्टी कर दी थी।

पट्टाली मक्कल कॉची (पीएमके) ने शुक्रवार को कहा कि तमिलनाडु के राज्यपाल सी. विद्यासागर राव को राज्य में सरकार गठन के लिए अन्नाद्रमुक की महासचिव वी. के. शशिकला को आंखें मूंद कर आमंत्रित नहीं करना चाहिए।

पीएमके के प्रवक्ता और वकील एन. विनोबा भूपति ने कहा, भारतीय संविधान निमार्ताओं ने अनुच्छेद 164 का प्रावधान किया, ताकि कोई भी क्षमतावान व लोकप्रिय व्यक्ति पहले मंत्री बन सके और फिर छह माह के भीतर चुनाव लड़कर विधानसभा या विधानपरिषद की सदस्यता ले सके।

उन्होंने कहा कि राज्यपाल को कार्यवाहक मुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम के आरोप पर भी गौर करना चाहिए, जिनका कहना है कि उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया।

 

(आईबीटीएन के एंड्रॉएड ऐप के लिए यहां क्लिक करें. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं.)

इस खबर को शेयर करें

शेयरिंग के बारे में

विज्ञापन

https://www.ibtnkhabar.com/

 

https://www.ibtnkhabar.com/

LIVE: Watch TRT WORLD


https://www.ibtnkhabar.com/

https://www.ibtnkhabar.com/

https://www.ibtnkhabar.com/

https://www.ibtnkhabar.com/

https://www.ibtnkhabar.com/

Copyright © 2024 IBTN Al News All rights reserved. Powered by IBTN Media Network & IBTN Technology. The IBTN is not responsible for the content of external sites. Read about our approach to external linking