आयरलैंड में गर्भपात पर प्रतिबंध हटाने पर एक जनमत संग्रह में 66.4 फीसदी लोगों ने इसका समर्थन किया। खबरों के मुताबिक, महिला की जान को खतरा होने की स्थिति में ही अभी गर्भपात की इजाजत है और बलात्कार के मामलों में यह नहीं है। दरअसल भारतीय डॉक्टर सविता हलप्पनवार को कानून का हवाला देकर साल 2012 में आयरिश डॉक्टरों ने गर्भपात करने से इनकार कर दिया, जिसकी वजह से उनकी मौत हो गई थी। इससे सबक लेते हुए करीब छह साल बाद शनिवार को आयरलैंड के लोगों ने उस कानून को हटाने के लिए संविधान में ही बदलाव करने को मंजूरी दे दी।
कैथोलिक ईसाई धर्म से प्रभावित संविधान के अंतर्गत गर्भपात से संबंधी कानून में बदलाव के लिए शनिवार को जनमत संग्रह हुआ, जिसमें 40 निर्वाचन क्षेत्रों के 63.9 फीसदी लोगों ने मतदान किया। कुल पड़े मतों में औसतन 66.4 फीसदी ने गर्भपात को प्रतिबंधित करने संबंधी कानून को बदलने के पक्ष में मतदान किया, जबकि 33.6 फीसदी लोगों ने इसके खिलाफ में मतदान किया।
डबलिन कैसल में भारतीय समयानुसार रात करीब 10: 52 बजे आधिकारिक रूप से नतीजों का ऐलान किया गया। गर्भपात की मंजूरी संबंधी जनादेश की घोषणा होते ही लोगों ने सविता-सविता के नारे लगाए।
भारतीय मूल के प्रधानमंत्री लियो वरदकर ने जनमत संग्रह के नतीजों की घोषणा की। वरदकर ने कहा कि लोगों ने अपनी राय जाहिर कर दी। उन्होंने कहा है कि एक आधुनिक देश के लिए एक आधुनिक संविधान की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आयरलैंड के मतदाता, महिलाओं के सही निर्णय लेने और अपने स्वास्थ्य के संबंध में सही फैसला करने के लिए उनका सम्मान और उन पर यकीन करते हैं।
उन्होंने कहा कि हमने जो देखा, वह आयरलैंड में पिछले 20 सालों से हो रही शांत क्रांति की पराकाष्ठा है। आठवें संशोधन को निरस्त करने के पक्ष में पड़े मत कानून में बदलाव के लिए आयरलैंड की संसद का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
गौरतलब है कि आयरलैंड में भारतीय दंतचिकित्सक सविता हलप्पनवार को 2012 में गर्भपात की इजाजत नहीं मिलने पर एक अस्पताल में उनकी मौत हो गई थी। उनकी मौत ने आयरलैंड में गर्भपात पर चर्चा छेड़ दी। सविता के पिता आनंदप्पा यालगी ने कर्नाटक स्थित अपने घर से कहा कि उन्हें आशा है कि आयरलैंड के लोग उनकी बेटी को याद रखेंगे।
कानून में बदलाव करने के लिए पहली बाधा पार करने के बाद आयरिश सरकार अब प्रस्ताव को कैबिनेट में मंजूरी के लिए रखेगी। आयरलैंड के स्वास्थ्य मंत्री सिमोन हैरिस ने कहा, मंगलवार को एक प्रस्ताव को कानूनी मंजूरी के लिए कैबिनेट के समक्ष रखा जाएगा।
ऑफेंश अगेंस्ट द पर्सन एक्ट 1861 के मुताबिक गर्भपात पर रोक है। 1983 में हुए आठवें संशोधन के मुताबिक गर्भपात कराने पर सजा का प्रावधान किया गया। सविता की मौत और यूरोपीय मानवाधिकार समझौते के तहत भ्रूण के विकृत होने पर गर्भपात की इजाजत दी गई। नए कानून में महिला गर्भपात करा सकेगी।
भारतीय दंत चिकित्सक सविता हलप्पनवार को उनके पति प्रवीण ने 21 अक्तूबर 2012 को पेट में दर्द होने की शिकायत पर डबलिन के अस्पताल में भर्ती कराया। उस समय उनके गर्भ में 17 हफ्ते का भ्रूण पल रहा था और डॉक्टरों ने गर्भपात की सलाह दी। आयरिश कानून का भी हवाला दिया, जिसके मुताबिक कुछ निर्धारित परिस्थितियों में गर्भपात संभव है। सविता की हालत बिगड़ी और 28 अक्टूबर को उनकी मौत हो गई।
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