भारत के सुप्रीम कोर्ट एयरसेल-मैक्सिस डील में भ्रष्टाचार के आरोपों से मारन बंधुओं को बरी किए जाने के फैसले के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालन (ईडी) की याचिका पर आठ फरवरी को सुनवाई करेगा।
ईडी की ओर से अधिवक्ता आनंद ग्रोवर ने चीफ जस्टिस जगदीश सिंह केहर की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने दलील दी कि यह मनीलांड्रिंग से जुड़ा अलग मामला है इसलिए शीर्ष अदालत को ईडी की याचिका की सुनवाई करनी चाहिए।
हालांकि न्यायालय ने कहा कि यदि एजेंसी को अपील दायर करना ही था तो उसे उचित अदालत में करना चाहिए था। शीर्ष अदालत का इशारा हाईकोर्ट की ओर था। ग्रोवर के आग्रह पर न्यायालय ने इसकी सुनवाई के लिए आठ फरवरी की तारीख मुकर्रर की।
ईडी ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के विशेष न्यायाधीश ओ पी सैनी द्वारा गुरुवार को मारन बंधुओं-पूर्व टेलिकॉम मिनिस्टर दयानिधि मारन एवं कलानिधि मारन सहित अन्य आरोपियों को आरोपमुक्त किये जाने को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है।
एजेंसी ने सुबह में न्यायालय से अनुरोध किया था कि वह इस मामले में मारन बंधुओं की कुर्क सम्पत्ति को रिलीज करने के आदेश न दे। न्यायालय ने मामले की सुनवाई भोजनावकाश के बाद अपराह्न दो बजे करने पर रजामंदी जतायी थी।
भोजनावकाश के बाद संक्षिप्त सुनवाई के बाद न्यायालय ने सुनवाई की अगली तारीख आठ फरवरी मुकर्रर की थी। एयरसेल-मैक्सिस करार में सभी आरोपियों पर भ्रष्टाचार एवं मनीलांड्रिंग के आरोप थे।
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि मलेशिया के मेक्सिस समूह के टी आनंद कृष्णन और आर मार्शल को पेश होना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि यदि आरोपी सम्मन पर प्रतिक्रिया नहीं जताते हैं और यहां अदालत में पेश नहीं होते तो वे वित्तीय नुकसान के हालात में आपत्ति नहीं जता सकेंगे।
कांग्रेस की तमिलनाडु इकाई ने एयरसेल-मैक्सिस सौदे से जुड़े मामलों में मारन बंधुओं के बरी हो जाने का आज स्वागत किया और कहा कि वे निर्दोष साबित होकर सामने आए हैं।
तमिलनाडु कांग्रेस के अध्यक्ष एस तिरूवुक्कारसार ने एक बयान में कहा, "मैं दयानिधि मारन और कलानिधि मारन को बधाई देता हूं जो इस फैसले से निर्दोष होकर सामने आए हैं।''
इस मामले में सीबीआई ने मारन बंधुओं एवं मलेशियाई नागरिक व कंपनी मैसर्स सन डायरेक्ट टीवी (प्राइवेट लिमिटेड), मैसर्स एस्ट्रो ऑल एशिया नेटवर्क पीएलसी, यूके मैसर्स मैक्सिस कम्युनिकेशन बरहाद मलेशिया, मैसर्स साउथ एशिया इंटरटेनमेंट होल्डिंगस लिमिटेड, मलेशिया और तत्कालीन अतिरिक्त सचिव (दूरसंचार) जेएस शर्मा (जिनकी मामले की जांच के दौरान मौत हो चुकी है) के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था।
इस संबंध में प्रवर्तन निदेशालय ने भी धनशोधन का मामला दर्ज कराया था।
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